Swachh Bharat mission (URBAN)
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2018
स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 4,203 शहरों को रैंकिंग
डिजिटल और बेकागजी स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 सब शहरों को शामिल करते हुए 4 जनवरी से शुरू होगा
एसबीएम (यू) - 4 में 124 शहर और 21 राज्य / केंद्रशासित प्रदेश ओडीएफ घोषित
62 लाख निजी शौचालय और 5 लाख सार्वजनिक शौचालय निर्मित हुए या निर्माणाधीन हैं
ओडीएफ नतीजों को बरकरार रखने और समग्र स्वच्छता प्राप्त करने पर ध्यान के साथ ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रोटोकॉल शुरू किए गए
शहरों को कचरा मुक्त दर्जा पाने को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल और कचरा मुक्त शहर की शुरुआत
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने नागरिक मित्र शहरी क्षेत्रों को सुनिश्चित करने के लिए 6,85,758 करोड़ रुपये से ज्यादा के धन प्रवाह समेत कई अन्य पहलों के माध्यम से भारतीय शहरों के कालाकल्प व परिवर्तन का शहरी पुनर्जागरण करने का, दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक, कार्यक्रम शुरू किया है। ये परिवर्तन करने के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं जिनमें प्रमुख शहरी सुधार व शहरी कायाकल्प की परियोजनाओं को कार्यान्वित करना, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सार्वजनिक व घरेलू शौचालयों और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का निर्माण करना, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2,05,018 करोड़ रुपये मूल्य की 5000 से ज्यादा स्मार्ट सिटी परियोजनाएं शुरू करना व कार्यान्वित करना, शहरी इलाकों में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 65 लाख से ज्यादा घरों को मंजूरी देना, 77,640 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं को स्वीकृत करके मिशन अमृत के अंतर्गत जल, सीवरेज और स्वच्छता का प्रावधान करना, नई मेट्रो लाइनों के जरिए शहरी परिवहन को बढ़ाना, दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाय-एनयूएलएम) के अंतर्गत लाभकारी रोजगार के लिए शहरी युवाओं में कौशल विकास करना, 12 शहरों के लिए शहर 'ह्रदय' योजनाओं के कार्यान्वयन को स्वीकृति दिया जाना शामिल है। देश के सब हिस्सों में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते हुए मंत्रालय घर खरीदने वालों के लाभ के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधारों के लिए पूरा जोर लगाकर काम कर रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन - शहरी
अप्रैल 2018 के बाद से 1,612 अतिरिक्त शहरों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है जिससे ये कुल संख्या 4,124 हो चुकी है। 62 लाख निजी घरेलू शौचालयों (आईएचएचएल) और 5 लाख सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय सीटों (सीटी/पीटी) के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है या पूरा होने के करीब है। इसके अलावा 21 शहरों / केंद्रशासित प्रदेशों के शहरी इलाकों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है जो हैं - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, मणिपुर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पुडुचेरी, पंजाब और कर्नाटक। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2 अक्टूबर 2014 को 5 वर्ष की अवधि के लिए शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य 100 प्रतिशत खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) का लक्ष्य हासिल करना और देश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में 100 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्राप्त करने के लिए व्यवस्थाओं को नियुक्त करना था।
लोग आसानी से सार्वजनिक शौचालयों को ढूंढ सकें और इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें इसके लिए गूगल मैप्स पर देश के सभी सार्वजनिक शौचालयों की मैपिंग करने की एक बड़ी पहल को शुरू किया गया है। अब तक गूगल मैप्स पर 835 शहरों ने 33,000 से ज्यादा सार्वजनिक शौचालयों को अपलोड किया है।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने निम्नलिखित शुरुआत की हैं :
- ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रोटोकॉल : इनमें ध्यान ओडीएफ नतीजों को बरकरार रखने और समग्र स्वच्छता हासिल करने पर केंद्रित किया गया है। ओडीएफ+ प्रोटोकॉल जहां सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों (सीटी/पीटी) के नियमित इस्तेमाल के लिए उनकी कार्यात्मकता और उचित रख-रखाव को सुनिश्चित करते हुए सीटी/पीटी के संचालन व रख-रखाव (ओएंडएम) पर ध्यान केंद्रित करता है, वहीं ओडीएफ++ शौचालयों से विष्ठा कीचड़ के सुरक्षित प्रबंधन को संबोधित करने और ये सुनिश्चित करने पर ध्यान देता है कि ऐसा कोई भी अशोधित कीचड़ खुले नालों, जल निकायों या खुले में न बहा दिया जाए।
- स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल या कचरा मुक्त शहर : इसका उद्देश्य कचरा मुक्त दर्जा प्राप्त करने के लिए शहरों को प्रोत्साहित करना है। ये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के 12 पैमानों पर आधारित एकल मापीय रेटिंग व्यवस्था है जिसमें स्रोत पृथक्करण, दरवाजे से दरवाजे संग्रहण, बल्क कचरा जनरेटरों द्वारा अनुपालन, रोज झाड़ू निकालना, कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण, वैज्ञानिक भूमि भराव, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, निर्माण व विध्वंस कचरा प्रबंधन, कचरा स्थल निराकरण, नागरिक शिकायत निवारण प्रणाली वगैरह शामिल हैं जो सब मिलकर किसी शहर की संपूर्ण सफाई और कचरा मुक्त दर्जा दिलाने में योगदान देते हैं।
- स्वच्छ मंच : ये एसबीएम को सच्चे 'जन आंदोलन' की ओर प्रेरित करने के ऑनलाइन ज्ञान प्रबंधन और हितधारकों से जुड़ने के पोर्टल का काम करता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण
सफाई मानकों को सुधारने के लिए शहरों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित करने के लक्ष्य से 2016 में 73 शहरों को रेटिंग देने वाला स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे करवाया गया था जिसके बाद 'स्वच्छ सर्वेक्षण-2017' हुआ जिसमें 434 शहरों को रैंकिंग दी गई। स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 में इंदौर ने पहला स्थान प्राप्त किया। भारत के 4,203 वैधानिक कस्बों को शामिल करते हुए 4 जनवरी से 10 मार्च 2018 को इसके तीसरे चरण का संचालन किया गया। इस दौरान इंदौर, भोपाल और चंडीगढ़ देश के 3 सबसे स्वच्छ शहरों के रूप में उभरे।
13 अगस्त 2018 को लॉन्च किया गया स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 देश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को शामिल करेगा और 4 जनवरी 2019 से इसका आगाज होगा।
व्यवहार संबंधी बदलाव लोगों के मन में बैठाने के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर - 1969 शुरू किया गया है जिसमें स्वच्छ भारत मिशन के सिलसिले में लोगों के सवालों को संबोधित किया जाएगा।
नागरिकों की सफाई को लेकर कोई भी शिकायतें हों उसके लिए शिकायत निवारण मंच के तौर पर 'स्वच्छता' एप लाई जा चुकी है। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) ने एक ऑनलाइन शैक्षिक पोर्टल शुरू किया है जहां प्रशिक्षण ढांचों के तौर पर 150 सर्वश्रेष्ठ प्रथाएं अपलोड की गई हैं। 'स्वच्छता सेल्फी' नाम से एक नवीनता भरा ऑडियो अभियान शुरू किया गया है।
वर्तमान में 84,229 वार्डों में से करीब 85 प्रतिशत यानी 71,797 वार्ड दरवाजे से दरवाजे तक कचरा संग्रहण का काम कर रहे हैं और जितना कचरा उत्पन्न हो रहा है उसके 46.03 प्रतिशत कचरे को प्रसंस्कृत किया जा रहा है। कचरे से खाद (डब्ल्यूटीसी) बनाने वाले संयंत्रों की बात करें तो 40.47 लाख टीपीए खाद उत्पादन क्षमता के साथ 635 संयंत्र काम कर रहे हैं और 6.84 लाख टीपीए उत्पादन क्षमता वाले 206 संयंत्र प्रगति पर हैं। कचरे से ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) बनाने वाले संयंत्रों की बात करें तो 88.4 मेगावाट क्षमता वाले 7 संयंत्र अभी काम कर रहे हैं और 415 मेगावाट क्षमता वाले 56 संयंत्र प्रगति पर हैं। इसे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
सफलता की कुछ कहानियां
- छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कचरा डालने का कोई खुला बाड़ा नहीं है। यहां अपने कचरे को 100 प्रतिशत पृथक किया जाता है और यहां ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलआरएम) के नवीन तरीके से हर महीने 13लाख बनाए जा रहे हैं। इस प्रबंधन को 623 महिला स्वयं सहायता समूह सदस्यों द्वारा चलाया जा रहा है। इस आदर्श को अब राज्य के सभी शहरी स्थानीय निकायों में दोहराया जा रहा है और छत्तीसगढ़ एक शून्य कचरा भराव राज्य बनने के रास्ते पर है।
- कचरा प्रबंधन के मामले में स्थायी उपाय प्रदान करने के मामले में मैसूर सबसे अग्रणी राज्यों में से एक है। यहां के निगम ने अपने यहां उत्पन्न होने वाले सारे ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए शहर में 9 शून्य कचरा प्रबंधन इकाइयां और 47 मटीरियल रिकवरी संयंत्र स्थापित किए हैं।
- केरल के अधिकतर शहरों में घरेलू स्तर पर पाइप खाद और जैव गैस संयंत्र स्थापित हैं जिससे विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में ये राज्य पथ प्रदर्शित कर रहा है।
- गोवा ने ये साबित कर दिखाया है कि 5 हिस्सों में इसके स्त्रोत पृथक्करण के माध्यम से कैसे कचरा भी संपत्ति साबित हो सकता है। इस शहर का 100 प्रतिशत दरवाजे से दरवाजे संग्रहण का दावा है। जो भी कूड़ा खाद निर्मित होती है उसे उपयोग में लाने के लिए यहां ज्यादातर आवासीय सोसायटी में खाद इकाइयां और रसोई उद्यान हैं।
- अलीगढ़ ने 'जादुई ईंटों' की शुरुआत की है जो सूखे कचरे से बनती हैं जिनका इस्तेमाल निर्माण से जुड़ी गतिविधियों में किया जा सकता है।
इस मिशन के अंतर्गत उद्यमिता
एक विशिष्ट बात जो इस मिशन के अंतर्गत दिखी है वो है नागरिक उद्यमियों के ऐसे समूहों का उभार जिन्होंने कचरा प्रबंधन क्षेत्र में नवीन कारोबारी मॉडल स्थापित कर लिए हैं। जैसे -
- स्र्पूस अप इंडस्ट्रीज : पुणे में 'जटायु' नाम की एक सड़क साफ करने वाली मशीन विकसित की गई जिससे सड़क के उन संकरे हिस्सों की भी सफाई की जा सके जहां मौजूदा स्वचालित सफाई मशीनें पहुंचने में संघर्ष करती हैं।
- शिर्डी में जनसेवा फाउंडेशन ने 'वेस्ट टू बेस्ट' परियोजना स्थापित की है जहां फूलों के बेकार कचरे को खाद और अगरबत्तियों में तब्दील किया जाता है।
- बैंगलुरू स्थित डेली डंप किफायती घरेलू व सामुदायिक खाद प्रणालियां बनाती है। घरेलू/सामुदायिक जैविक कचरे को प्रबंधित करने और उसे उपयोगी उच्च गुणवत्ता वाली खाद में तब्दील करने में मदद करती है।
- कानपुर स्थित 'डी-डिजाइन्स' अपशिष्ट टायरों से हस्तशिल्प किए पुनर्चक्रित फर्नीचर और सजावट के सामान को बनाने के काम से जुड़ी है।
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