SMART CITY MISSION

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय


स्मार्ट सिटी मिशन-2018

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने नागरिकों के अनुकूल शहरी क्षेत्र विकसित करने के लिए 6,85,758 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश सहित कई अन्य पहल की गई है। इसके जरिए भारतीय शहरों के कायाकल्प और रुपांतर का लक्ष्य हासिल करने के लिए दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गई है. स्वच्छ भारत मिशन के जरिए मूलभूत शहरी सुधार, शहरों के कायाकल्प की योजनाएं, निजी और सार्वजनिक शौचालय का निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए बदलाव की शुरुआत की जा चुकी है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2,05,018 करोड़ रुपए के 5000 से ज्यादा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की शुरुआत और कार्यान्वयन किया जा चुका है। प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में 65 लाख से ज्यादा आवास के निर्माण को स्वीकृति दी जा चुकी है। मिशन अमृत योजना के तहत पानी, सीवरेज और सफाई के लिए 77,640 करोड़ रुपए की योजना का प्रावधान. नई मेट्रो लाइन के जरिए शहरी यातायात का विस्तार करने, शहरी युवाओं का कौशल विकास कर दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत रोजगार योग्य बनाने के लक्ष्य पर आगे चलने के साथ ही 12 शहरों के लिए सिटी हृदय योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी भी दी जा चुकी है।
मंत्रालय घर खरीदारों के हित के लिए पूरे देश में रेरा (RERA) के तहत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के साथ ही पूरी ताकत से रियल स्टेट के क्षेत्र में भी सुधार के लिए लगा हुआ है।
स्मार्ट सिटी मिशन
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अखिल भारतीय प्रतियोगिता के चार राउंड के जरिए 100 स्मार्ट शहरों का चयन किया गया है। सभी 100 शहरों को स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) में सम्मिलित किया गया है।
मिशन की शुरुआत के साथ ही 100 शहरों में 5,151 प्रोजेक्ट चिन्हित किए गए, जिनके विकास पर 2 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जानी है. इन सारे प्रोजेक्ट में अलग अलग चरणों पर कार्य चल रहा है। 10,116 करोड़ रुपए के 534 प्रोजेक्ट पर कार्य पूरा किया जा चुका है। 43,493 करोड़ रुपए की 1,177 योजनाओं का कार्यान्वयन शुरू हो चुका है। जबकि 38,207 करोड़ रुपए के 677 प्रोजेक्ट पर निविदा की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. स्मार्ट सोल्यूशन, स्मार्ट सड़कें, स्मार्ट पेयजल, छत पर सौर ऊर्जा, दर्शनीय और प्रभावपूर्ण प्रोजेक्ट जैसी योजनाओं की प्रगति नीचे दर्शाई गई है:
 स्मार्ट कमांड और कंट्रोल सेंटर योजना के लिए 11 शहरों में 1,558 करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं. 3,049 करोड़ के प्रोजेक्ट 29 शहरों में प्रगति पर हैं। 21 शहरों के लिए 2,730 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के लिए निविदा जारी की जा चुकी है।
स्मार्ट सड़क प्रोजेक्ट के तहत 4 शहरों में 228 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पूरा कराए जा चुके हैं। 34 शहरों में 3,819 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। 10 शहरों में 2,069 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के लिए निविदा जारी की जा चुकी है।
स्मार्ट वाटर प्रोजेक्ट के तहत 18 शहरों में 902 करोड़ रुपए के कार्य पूरे किए जा चुके हैं। 35 शहरों में 5,961 करोड़ रुपए के कार्य प्रगति में हैं। जबकि 17 शहरों में 921 करोड़ रुपए के कार्यों की निविदा जारी की जा चुकी है।
सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के तहत 8 शहरों 58 करोड़ रुपए के कार्य किए जा चुके हैं। 42 शहरों में 828 करोड़ रुपए के कार्य प्रगति पर हैं। जबकि 9 शहरों में 300 करोड़ रुपए के कार्यों के लिए निविदा जारी की जा चुकी है।
दर्शनीय और प्रभावपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत 16 शहरों में 179 करोड़ रुपए के कार्य पूरे किए जा चुके हैं। 32 शहरों में 3,701 करोड़ रुपए के कार्य प्रगति पर हैं। जबकि 20 शहरों में 2,828 करोड़ रुपए के कार्य के लिए निविदा जारी की जा चुकी है।

 वैल्यू कैप्चर फाइनांस (वीसीएफ) का नीतिगत ढांचा मंत्रालय ने 28 फरवरी 2017 को जारी कर दिया है। राज्योंशहरों में आधारभूत संरचना के विकास से संबंधित जरूरी कार्यों के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने का ये बेहद कारगर तरीका है। अब तक 17 राज्य वीसीएफ का ढांचा विकसित करने के लिए पेशेवर कंपनियों को इस कार्य में लगा चुके हैं. उम्मीद है कि इसके विकसित होने पर राज्यों को अतिरिक्त आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

स्मार्ट सिटी मिशन के जरिए दूसरे महत्वपूर्ण पहल
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने ईज ऑफ लिविंग सूचकांक की शुरुआत की है। शहरों में रहन-सहन को लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से देश के शहरों की स्थिति की पड़ताल और मूल्यांकन के आधार पर शहरी विकास और प्रबंधन के स्तर में सुधार के लिए किया है। जून 2017 में ये तय किया गया कि रहन-सहन के सूचकांक के आधार पर 116 शहरों की रैंकिंग की जाएगी। 19 जनवरी 2018 को मूल्यांकन के आधार पर कार्यान्वयन की शुरुआत की गई। 13 अगस्त 2018 को मंत्रालय ने 111 शहरों को रहन-सहन के सूचकांक के हिसाब से रैंकिंग जारी की. इसके तहत शहरी विकास (प्राकृतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक) के सभी महत्वपूर्ण स्तंभों के मानकों पर गौर किया गया और 15 वर्गों (संचालन, पहचान और संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, बचाव और सुरक्षा, वित्त, किफायती आवास, भूमि उपयोग योजना, सार्वजनिक खुला जगह, परिवहन, सुनिश्चित पेजयल आपूर्ति, अपशिष्ट जल प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा और पर्यावरण की गुणवत्ता) में 78 सूचकांकों के आधार पर शहरों का वर्गीकरण किया गया।
 भारतीय स्मार्ट सिटी फेलोशिप और भारतीय स्मार्ट सिटी इंटर्नशिप प्रोग्राम की शुरुआत 9 जुलाई 2018 को की गई। फेलोशिप के लिए 3000 से ज्यादा आवेदन प्राप्त किए गए. नवंबर 2018 में शहरी प्रबंधन, शहरी डिजाइन, इंजीनियरिंग, सूचना तकनीक, शहरी गतिशीलता, वित्तिय, सामाजिक क्षेत्र और पर्यावरण के मुद्दों से जुड़े 30 युवा ग्रेजुएट/ पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी छात्रों का चयन मंत्रालय ने किया गया।
 अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धा सीआईटीआईआईएस (सिटीज इनवेस्टमेंट टू इनोवेट इंटीग्रेट एंड सस्टेन) की शुरुआत 9 जुलाई 2018 को एजेंस फ्रैंकेस डी डेवेलॉपमेंट (एएफडी) और यूरोपिय यूनियन के सहयोग से की गई। अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धा के तहत चुने गए स्मार्ट शहर को 15 नवीन परियोजनाओं के लिए एजेंस फ्रैंकेस डी डेवेलॉपमेंट (एएफडी) 100 मिलियन यूरो का ऋण देगा। सभी परियोजनाएं चार सेक्टर- सस्टेनेबल मोबिलिटी, सार्वजनिक खुली जगह, शहरी संचालन और सूचना और संचार तकनीक के साथ ही कम आय वाले इलाकों में सामाजिक और संस्थागत नवीकरण के क्षेत्र में चलाई जाएंगी। चुने गए प्रदर्शनीय परियोजनाओं की तैयारी और निर्माण के लिए तकनीकी सहयोग और वैश्विक विशेषज्ञता भी उपलब्ध कराई जाएगी। सितंबर 2018 में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा सीआईटीआईआईएस से संबंधित तैयारी के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया था। शहरों ने जो प्रस्ताव जमा किए हैं उसका मूल्यांकन किया जा रहा है।
 स्मार्ट सिटी डिजिटल पेमेंट अवॉर्ड 2018 की शुरुआत 9 जुलाई 2018 को की गई थी। इस अवॉर्ड का मकसद डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने और भुगतान के अभिनव पहल के लिए स्मार्ट शहरों को मार्गदर्शन, प्रेरणा, पहचान देना और पुरस्कृत करना है। 65 शहरों ने प्रश्नावली के दूसरे चरण में हिस्सा लिया. प्रस्तुतियों का मूल्यांकन किया जा रहा है। जल्द ही नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।

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