Self-Help Group (SHG)

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय



स्व-सहायता समूह (एसएचजी) और उनके संगठनों का क्षेत्रीय और शहर स्तरीय संगठनों (सीएलएफ) के तौर पर गठन डीएवाई-एनयूएलएम का मुख्य आधार हैं। इन संगठनों से गरीब महिलाओं को अपनी सामाजिक और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में सहायता मिलती है। अभी तक 34 लाख से ज्यादा महिलाओं को मिलाकर 3,45,450 एसएचजी का गठन किया जा चुका है और 2,35,712 एसएचजी को एनयूएलएम के अंतर्गत रिवॉल्विंग फंड से सहायता दी जा चुकी है।


झुग्गी-बस्तियों और गरीबों की समस्याओं को देखते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में समान विकास को प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रयास किए। इस मिशन के तहत पांच मुख्य घटकों सामाजिक गतिशीलता एवं संस्थागत विकास (एसएमएंडआईडी), कौशल प्रशिक्षण और नियुक्ति के माध्यम से रोजगार (ईएसटीएंडपी), स्वरोजगार कार्यक्रम (एसईपी), शहरी गली वेंडर्स को सहयोग (एसयूएसवी) और शहरी निराश्रितों के लिए आश्रय योजना (एसयूएच) के माध्यम से शहरी गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक समावेशन जैसी बड़ी सामाजिक चुनौतियों का हल निकालना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की योजना है। वर्ष के दौरान किए गए कार्यः-

  • कौशल प्रशिक्षित अभ्यर्थियों के बारे में एसएमएस/ऑनलाइन प्रतिक्रिया के माध्यम से उनके गुणवत्ता कौशल के बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए पर्सनलाइज्ड आफ्टर ट्रेनिंग रैपिड एसेसमेंट (पीएआरएएस) प्रणाली पेश की गई है।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से एसईपी घटक के अंतर्गत डीएवाई-एनयूएलएम लाभार्थियों को ब्याज छूट देने के लिए इलाहाबाद बैंक के साथ मिलकर विकसित एक केंद्रीयकृत वेब पोर्टल पैसा (पीएआईएसए) का शुभारम्भ किया गया है।
  • ईएसटीपी घटक के अंतर्गत निर्माण क्षेत्र में डीएवाई-एनयूएलएम लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (एनएआरईडीसीओ) और एसयूएलएम, महाराष्ट्र के साथ एक समझौता (एमओयू) किया गया है।
  • डीएवाई-एनयूएलएम ने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के सहयोग से शहरी आजीविका केंद्रों (सीएलसी) की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य उत्पादों और उनकी विशेषताओं का मानकीकरण, ई-मार्केटप्लेस पर पेश होने वाले उत्पादों की पहचान और जीईएम पर विक्रेता के तौर पर पंजीकरण की सुविधा देना है। इसके साथ ही शहरी निराश्रितों के लिए हर राज्य में दो मॉडल आश्रय स्थल के विकास का फैसला लिया गया है, जिनमें से एक राज्य की राजधानी और एक शहरी निराश्रितों की संख्या के हिसाब से किसी अन्य बड़े शहर में होगा। इसके साथ ही दो यूएलबी भी बनाए जाएंगे, जिनमें से एक 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में और दूसरा किसी अन्य बड़े शहर में होगा। इन्हें शहरी गली वेंडर्स के लिए मॉडल यूएलबी के तौर पर विकसित किया जाना है।


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कौशल प्रशिक्षण और नियुक्ति दिलाना कौशल भारत मिशन की एक बड़ी बाधा है। अभी तक 8,89,844 लोगों को प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र दिया जा चुका है और 4,64,178 लोगों को स्वरोजगार के माध्यम से आमदनी की व्यवस्था कराई गई है। अभ्यर्थियों से एसएमएस/ऑनलाइन माध्यम से मिली सीधी प्रतिक्रिया के आधार पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में सुधार के क्रम में एक पर्नलाइज्ड आफ्टर ट्रेनिंग रैपिड असेसमेंट सिस्टम (पीएआरएएस) की पेशकश की गई है।

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शहरी आजीविका केंद्र (सीएलसी) प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, बढ़ई, दर्जी, ट्यूटर्स आदि सेवा प्रदाताओं और घरों व स्थानीय संस्थानों जैसे सेवाओं की खोज में रहने वालों को एक मंच उपलब्ध कराता है। स्थानीय शहरी सेवाओं के लिए एग्रीगेटर के तौर पर अभी तक 350 सीएलसी सक्रिय हैं। सीएलसी उत्पादों की बिक्री में सुधार के लिए एसएचजी को भी विपणन सहायता उपलब्ध कराते हैं। स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बैंक कर्ज पर 7 प्रतिशत तक ब्याज छूट उपलब्ध कराई गई है। अभी तक 8,36,869 कर्ज खातों के लिए 16,160 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें 3,63,487 व्यक्तिगत और समूह उद्यम खाते तथा 4,73,382 एसएचजी क्रेडिट लिंकेज खाते शामिल हैं।

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2014 में लागू स्ट्रीट वेंडर एक्ट गली वेंडर्स की आजीविका को संरक्षण देने, फैसला लेने वाले संगठनों में उन्हें प्रतिनिधित्व देने और सबसे ज्यादा अहम उन्हें समाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक समावेशी पहल है। डीएवाई-एनयूएलएम के एसयूएसवी घटक का उद्देश्य गली विक्रेताओं को औपचारिक मान्यता दिलाना है, जो एक्ट की भावना के अनुरूप है। 2,332 शहरों में गली वेंडरों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कर लिया गया है, जिसमें 16,89,564 गली वेंडरों की पहचान की जा चुकी है और 8,18,095 वेंडरों को पहचान पत्र भी दे दिए गए हैं।
बेघर लोग शहरी गरीब जनसंख्या का एक कमजोर भाग है, जिन्हें रहन-सहन की स्थितियों, कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ समाज से अलगाव जैसी तमाम विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। एसयूएच घटक का उद्देश्य बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध कराना है, जिससे लोगों को सम्मानित जीवन और सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सके। 89,000 शहरी बेघरों के लिए क्षमता निर्माण के वास्ते अभी तक शहरी बेघरों के वास्ते 1,776 आश्रय स्थल तैयार करने को स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से वर्तमान में 1,084 ने सक्रिय तौर पर काम करना शुरू कर दिया है।


वर्ष के दौरान नई पहल
  • निर्माण क्षेत्र के लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (नरेडको) और राज्य शहरी आजीविका मिशन, महाराष्ट्र के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। इसका उद्देश्य तीन साल की अवधि के दौरान 2,50,000 कामगारों को प्रशिक्षण देना है।
  • महाराष्ट्र मिशन ने राष्ट्रीय रोजगार प्रोत्साहन मिशन (एनईईएम) के प्रशिक्षुओं को नौकरी दिलाने के लए एनईईएम और उद्योग के भागीदारों के साथ समझौता किया है। एनईईएम, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक योजना है, जिसके अंतर्गत रोजगारपरकता को बढ़ावा देने के वास्ते रोजगार प्रशिक्षण देने के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है।

· लाभार्थियों के डीबीटी के माध्यम से बैंक लोन पर ब्याज छूट मुहैया कराने के लिए एक केंद्रीयकृत इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म अफोर्डेबल क्रेडिट एंड इंटरेस्ट सबवेंशन एक्सेस (पीएआईएसए) की पेशकश की गई है। छूट को मासिक आधार पर दिया जाता है, जबकि मैनुअल प्रणाली में ऐसा तिमाही आधार पर किया जाता है। साथ ही अब इसकी सूचना लाभार्थी को एसएमएस के माध्यम से दे दी जाती है। पोर्टल से शुरुआत में ही 28 राज्य और 30 अनुसूचित व्यावसायिक बैंक जुड़ चुके हैं। मिशन के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष के दौरान सभी भागीदार आरआरबी और सहकारी बैंक को भी जोड़ दिया जायेगा।

· एमओएचयूए 1-15 फरवरी, 2019 के दौरान शहरी समृद्धि के उत्सव के तौर पर डीएवाई-एनयूएलएम पखवाड़ा का आयोजन कर रहा है, जिसे शहरी समृद्धि उत्सव नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत पखवाड़े के दौरान राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर पर शहरी आजीविका पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। शहरी स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों से शहरी गरीबों के लिए सुरक्षा दायरे को मजबूत बनाया जाएगा। साथ ही डीएवाई-एनयूएलए के बारे जागरूकता के प्रसार के लिए एसएचजी की रैली निकाली जाएगी, औपचारिक सफाई कर्मचारियों के एसएचजी के निर्माण की मुहिम चलाई जाएगी। इसके साथ ही शहरी सहभागिता मंच, यूएलबी-एएलएफ बैठक, महाविद्यालयों द्वारा आश्रय स्थलों को गोद लेना, बैंकों द्वारा कर्ज शिविर, गली वेंडरों को पहचान पत्र बांटना और रोजगार मेले लगवाने की भी योजना है। राज्य स्तर पर खाद्य उत्सव और एसएचजी उत्पादों की प्रदर्शनी भी कराने का प्रस्ताव है। राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता उत्कृष्टता पुरस्कार, एसएचजी उत्पादों की प्रदर्शनी, गली खाद्य उत्सव और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए उद्योग के साथ परामर्श देने की भी योजना है।

  • मिशन में सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के सहयोग से शहरी आजीविका केंद्रों (सीएलजी) की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य उत्पोदों और उनकी विशेषताओं का मानकीकरण, ई-मार्केटप्लेस पर पेश होने वाले उत्पादों की पहचान और जीईएम पोर्टल पर विक्रेता के तौर पर सीएलसी का पंजीकरण है। अभी तक अहमदाबाद, गंगटोक, जयपुर और तिरुपति के नाम से 4 सीएलसी को प्लेटफॉरम से जोड़ा जा चुका है। मार्च तक जीईएम पर 50 से ज्यादा सीएलसी जोड़ने का लक्ष्य है।
  • हर राज्य में शहरी बेघरों के लिए दो मॉडल आश्रय स्थल विसित किए जा रहे हैं, जिनमें से एक राज्य की राजधानी में और दूसरा शहरी बेघरों की सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर में बनाया जाएगा।
  • हर राज्य में शहरी गली वेंडरों के लिए मॉडल यूएलबी के तौर पर दो यूएलबी बनाए जाएंगे, जिनमें से एक 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहर और दूसरा किसी अन्य शहर में बनाया जाएगा।
  • प्रदर्शन के आधार पर पारदर्शी तरीके से राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों की रैंकिंग की सुविधा और उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एसपीएआरके (सिस्टमैटिक प्रोग्रेसिव एनालिटिकल रियल टाइम रैंकिंग) की पेशकश की गई है। प्रदर्शन के आधार पर 2017-18 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल शीर्ष 3 में रहे, जिन्हें मार्च, 2018 में सम्मानित किया गया। 2018-19 के लिए एसपीएआरके पुरस्कार साल के अंत में दिया जाएगा।
  • स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देने वाले एएलएफ को सम्मान और प्रोत्साहन देने के लिए स्वच्छता उत्कृष्टता पुरस्कार की पहल की गई है। 2017-18 के दौरान 130 शहरों से मिले 196 आवेदनों में से 21 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के 57 एएलएफ को पुरस्कृत किया गया। 2018-19 के लिए मार्च, 2019 में पुरस्कार दिए जाएंगे।
  • स्थान के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आश्रय स्थलों को जिओ तकनीक से जोड़ा जा रहा है।
  • डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत लाभ लेने के लिए यूआईडीएआई सर्वर से रियल टाइम आधार प्रमाणन को अनिवार्य बना दिया गया है।
  • ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) वैधता क साथ लाभार्थियों का मोबाइल सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।
  • एफएसएसएम के अतंर्गत मानकीकृत कौशल के लिए स्वच्छता के उप क्षेत्र तीन पात्रता पैक विकसित किए गए हैं, जो सेप्टिक टैंक टेक्नीशियन, डिसल्जिंग ऑपरेटर, एफएसटीपी ओएंडएम टेक्नीशियन हैं। एक बार एनएसडीसी से मंजूरी मिलने के बाद इसे देश भर में लागू कर दिया जाएगा।

डीएवाई-एनयूएलएम: - असम में संचिता का रेडीमेंड परिधानों का व्यवसाय
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संचिता और उनका परिवार उनके पति को होने वाली मासिक 3,000 रुपये की आमदनी पर किसी तरह गुजर बसर करता था। संचिता ने परिवार की आय बढ़ाने के लिए घर-घर जाकर रेडीमेड कपड़े बेचना शुरू किया। हालांकि, उनके बिजनेस को पूंजी की कमी से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। संचिता को डीएवाई-एनयूएलएम की तरफ से 2 लाख रुपये का सब्सिडी युक्त कर्ज मिला, जिसे उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाने में इस्तेमाल किया। इन दिनों वह घर से ही अपना व्यवसाय चला रही हैं, साथ ही सहयोग के लिए कुछ महिलाओं को भी जोड़ चुकी हैं। इस प्रकार वह अपने परिवार में खुशहाली लाने में कामयाब रही हैं।

ओडिशा की प्रीति सबत- ठोकर खाकर हासिल की सफलता
शादीशुदा जीवन में मुश्किलों का सामना करने के बाद आगे का सफर चुनौतीपूर्ण हो जाता है। खासकर कम उम्र में तलाक के बाद तो मुश्किलें कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती हैं। लेकिन ओडिशा के नबरंगपुर जिले की 34 वर्षीय प्रीति सबत ने ऐसी ही मुश्किलों का सामना करके सफलता हासिल की। एक बेटी की मां प्रीति के पास तलाक के बाद आमदनी का कोई जरिया नहीं था। उन्होंने अपने घर से ही सिलाई के साथ किराने की दुकान शुरू की। एक समय उनको अपनी दुकान से सिर्फ 3000 से 4000 रुपये की आमदनी होती थी। तभी उन्हें डीएवाई-एनयूएलएम के बारे में पता चला और फिर वह नबरंगपुर के एक एसएचजी की सदस्य बन गईं। एसएचजी बैंक लिंकेज से उन्हे 1 लख रुपये का कर्ज हासिल करने में मदद मिली, जिससे उन्होंने अपना व्यवसाय आगे बढ़ाया। आज वह हर महीने 10,000 रुपये कमा रही हैं। प्रीति अब खुश हैं कि वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं।

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जयराम ओरन, रांची- वाहनों की मरम्मत के लिए कौशल प्रशिक्षण
मोराबदी, रांची के जयराम ओरन एक गरीब और वंचित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बचपन में ही गुजर गए थे। 6 सदस्यों वाले उनके परिवार को एक समय खासी दिक्कतों के बीच जीवन यापन करना पड़ रहा था। जयराम को मैट्रिक के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा, जिससे वह कमाई कर सकें। पर्याप्त पढ़ाई और तकनीक शिक्षा के बिना नौकरी पाने में वह नाकाम रहे।
एक विज्ञापन के माध्यम से उन्होंने डीएवाई- एनयूएलएम के अंतर्गत कराए जा रहे कौशल प्रशिक्षण के बारे में मालूम चला। उन्होंने डीएवाई- एनयूएलएम कार्यालय से संपर्क किया और अपनी दिलचस्पी के आधार पर वाहनों की मरम्मत का कोर्स किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरा करने के बाद उन्हें मारुति सुजुकी में नौकरी मिल गई। उन्होंने अन्य लाभों के साथ 7,500 रुपये महीना वेतन की पेशकश की गई। आज वह अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं और वह काफी खुश हैं। जयराम कहते हैं कि सरकार के युवाओं के कौशल में सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से उनकी जिंदगी में सुधार हो रहा है।


चंडीगढ़ की बलजीत कौरदिव्यांग लड़की को डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत मिला रोजगार
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चंडीगढ़ की एक लड़की बलजीत कौर को सुनने में कमजोर होने के कारण अपना सपना पूरा करने में दिक्कत हो रही थी।

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उसका सपना होटल उद्योग में काम करने का था, लेकिन उनका परिवार कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण होटल प्रबंधन का कोर्स कराने में सक्षम नहीं था। हालांकि उन्होंने अपने सपने को जिंदा रखा और अवसरों की तलाश में लगी रहीं। फिर उन्हें कौशल भारत मिशन के अंतर्गत आने वाले डीएवाई-एनयूएलएम के बारे में पता चला। उन्होंने चंडीगढ़ यूएलबी के अंतर्गत पर्यटन एवं आतिथ्य सेवा के कोर्स में प्रवेश लिया और उसे सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्हें चंडीगढ़ के एक होटल में मौका मिला। आज बलजीत हर महीने 9,000 रुपये कमाती हैं। उनके माता-पिता अपनी बेटी पर गर्व करते हैं और इन दिनों वह लेमन ट्री चंडीगढ़ की एक सफल कर्मचारी हैं।
वह अपने सपने पूरा करने का मौका देने के लिए डीएवाई-एनयूएलएम के प्रति आभारी हैं।

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