India – Asean Troika Trade Ministers’ Meeting in New Delhi

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय


भारत-आसियान त्रिगुट व्‍यापार मंत्रियों की बैठक आयोजित

भारत-आसियान त्रिगुट व्‍यापार मंत्रियों की बैठक आज नई दिल्‍ली में आयोजित की गई जिसका उद्देश्‍य वर्तमान में जारी क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर अनौपचारिक सलाह-मशविरा करना था। इस बैठक में केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल, थाईलैंड की कार्यवाहक वाणिज्‍य मंत्री सुश्री चटिमा बुन्‍यप्रफासारा, इंडोनेशिया के व्‍यापार मंत्री एनगैरतियास्‍तो लुकिता, आसियान के महासचि‍व श्री लिम जॉक होई और आरसीईपी के टीएनसी अध्‍यक्ष श्री ईमान पैमबैग्‍यो ने भाग लिया।
श्री पीयूष गोयल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दरअसल आरसीईपी को अपनी ‘एक्‍ट ईस्‍ट’ नीति के एक तार्किक विस्‍तार के रूप में मानता है और इसमें समूचे क्षेत्र में आर्थिक विकास एवं स्‍थायित्‍व के लिए व्‍यापक संभावनाएं हैं। उन्‍होंने कहा कि विशेषज्ञ स्‍तर पर आरसीईपी वार्ताओं के 26वें दौर में कुछ प्रगति हुई है। ये वार्ताएं हाल ही में मेलबर्न में सम्‍पन्‍न हुई हैं और इस दौरान सदस्‍य देशों ने कुछ हद तक लचीलापन एवं सामंजस्‍य दर्शाया। भारत ने भी इन वार्ताओं के दौरान काफी हद तक लचीला रुख दर्शाया और कुछ महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में समु‍चि‍त सामंजस्‍य बैठाने में मदद की। दो और अध्‍याय समापन के नजदीक पहुंच गए हैं जिससे यह संख्‍या बढ़कर कुल 16 अध्‍यायों में से 9 के आंकड़े पर पहुंच जाएगी। उन्‍होंने यह उम्‍मीद जताई कि चीन और वियतनाम में होने वाली वार्ताओं के दौरान और ज्‍यादा सामंजस्‍य देखने को मिलेगा।
वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि पिछले मुक्‍त व्‍यापार समझौतों के प्रभाव के बारे में भारतीय उद्योग जगत में आशंका और निराशावाद है। भारत ने वस्‍तुओं के मामले में जितनी रियायतें दी हैं उनके मुकाबले उसे अपेक्षाकृत कम छूट प्राप्‍त हुई है। बाद में आसियान देशों द्वारा सेवाओं में उचि‍त पेशकश करने का वादा फलीभूत नहीं हुआ। मूल देश के प्रावधानों पर अमल नहीं करने और इस तरह के उल्‍लंघन की जांच एवं उन्‍हें सुलझाने में पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण भारत में वस्‍तुओं के आयात में काफी वृद्धि देखने को मिली है। विभिन्‍न मानकों के साथ-साथ इस क्षेत्र में नियामकीय कदमों और अन्‍य गैर-शुल्‍क बाधाओं के कारण भारत-आसियान मुक्‍त व्‍यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत द्वारा प्राथमिकता प्राप्‍त शुल्‍क दरों का उपयोग 30 प्रतिशत से कम है।
भारतीय वस्‍तुओं के मामले में विशेषकर चीन के साथ बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दे काफी जटिल हैं। भारतीय उद्योग जगत इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं है कि क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों विशेषकर वस्‍तुओं और सेवाओं के मामले में संतुलित नतीजे सुनिश्‍चि‍त करते हुए सभी के लिए लाभप्रद साबित होगी।
****

Comments

Popular posts from this blog

घर-घर दस्तक, घर-घर पुस्तक’

VERSAILLES TREATY

वेतन विधेयक, 2019 पर कोड