Railway achievement in 2018

रेल मंत्रालय


रेल मंत्रालय की वर्ष 2018 में की गई पहल और उपलब्धियां

सबसे पहले सुरक्षा: मानव रहित लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलनप्रौद्योगिकी का उपयोगरोलिंग स्टॉक की ऑनलाइन निगरानी और रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोचों को एलएचबी कोचों में बदलना।
सेमी हाई स्पीड (160 किमी/घंटास्व-चालित ट्रेन 18 के स्वदेशी विनिर्माण द्वारा 'मेक इन इंडियाको बढ़ावा, समकालीन सुविधाओं के साथ वैश्विक मानकों के अनुरूप
समर्पित मालवाहक कॉरिडोर (डीएफसी) जैसी रणनीतिक परियोजनाएं चालू करके क्षमता बढ़ोतरी करने की व्यापक पहल
उत्तर-पूर्व का जुड़ाव: भारत के सबसे लंबे रेल-रोड ब्रिज के माध्यम से असम और अरुणाचल प्रदेश का जुड़ाव
परिवर्तनकारी सुधारों में तेजी: सांस्कृतिकप्रक्रिया और संरचनात्मक सुधारोंक्षेत्रिय स्तर की इकाइयों का सशक्तिकरण/ सुदृढ़ीकरण पर जोर
विकसित कोचों और ट्रेनों के माध्यम से शीघ्र और आरामदायक यात्री सेवाएंयूटीएस मोबाइल ऐपविकल्प योजना और ऑनलाइन टिकट आरक्षण के लिए डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा।
स्वच्छ रेल: बायो टॉयलेटक्लीन-माई-कोच एसएमएस सेवाट्रेनों और रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता के लिए कोच मित्र पहल
स्टेशन सौंदर्यीकरण पहल के अंतर्गत स्थानीय कलाचित्रकला शैलीस्थानीय विषयों का उपयोग करके क्षेत्रीय रेलवे के 65 स्टेशनों को सुशोभित किया गया
भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयों में 4.0 रोबोटिक्स और उद्योग प्रौद्योगिकियों का उपयोग
गति बढ़ाने के लिए मिशन रफ़्तार, भारत के विकास में योगदान करने और भाग लेने के लिए
सभी रेलवे स्टेशनों पर 100 प्रतिशत एलईडी रोशनी का उपयोग करके उज्ज्वल और ऊर्जा कुशल रेलवे का निर्माण
2018 में, भारत की पहली रेल और परिवहन विश्वविद्यालय के प्रथम सत्र की शुरूआत
विस्टाडोम कोच के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनंत काल के लिए रेलवे विरासत का संरक्षण

भारतीय रेलवे ने प्रौद्योगिकी और अपने अत्यधिक समर्पित कार्यबल के माध्यम से सुरक्षा और यात्री सेवाओं के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करते हुए इस वर्ष के दौरान चौतरफा प्रगति हासिल की है। इस वर्ष की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ निम्नलिखित है:

                          सूरक्षा में बढ़ोतरी

रेलवे के लिए सुरक्षा प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है और इसे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान वर्ष के दौरानएमओआर ने भारतीय रेलवे की दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से सभी जोनल रेलवे के लिए चार सुरक्षा  अभियान शुरू किए गए हैं:

13.04.2018 कोसभी जोनल रेलवे को एक महीने के लिए सुरक्षा अभियान शुरू करने की सलाह दी गई थीविशेष रूप से शंटिंग प्रथाओं का सख्त रूप से पालन करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ जीएंडआर में शामिल नियमों/ निर्देशों का अनुपालन करने के लिए।

9.06.2018 को, सभी जोनल रेलवे को मानसून के दौरान चक्रवाती तूफानभारी बारिशभूस्खलन आदि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक सुरक्षा अभियान शुरू करने के लिए कहा गया।

16.10.2018 कोज़ोनल रेलवे को पंद्रह दिनों की अवधि के लिए एक विशेष सुरक्षा अभियान शुरू करने की सलाह दी गई, विशेष रूप से कार्य स्थलों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देनेट्रैक के पास रेलवे सामग्री की क्रमबद्धता और रखरखाव और क्रॉसिंग के बिंदुओं और रखरखाव की विशेष सुरक्षा के लिए।

सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदम:

सुरक्षा में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का प्रवेश - स्मार्ट कोच
नैदानिक ​​प्रणाली वाले स्मार्ट कोचपहिया और ट्रैक की स्थिति के बारे में अग्रिम जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावाकोच में व्हील स्लिप प्रोटेक्शन मॉनिटरिंग की सुविधा दी गई है। आपातकालीन निकासी के लिए यात्री घोषणा और सूचना प्रणाली के साथ एकीकृत आग और धुआं पहचान इकाई के माध्यम से अग्नि सुरक्षा प्रदान करने के लिए और सुधार किए जा रहे हैं। रक्षा और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए वीडियो एनालिटिक्स के साथ चरणबद्ध पहचान और असामान्य घटना की सुविधाएं दी जा रही है।

रोलिंग स्टॉक (ओएमआरएस) की ऑन-लाइन निगरानी
ओएमआरएस का कार्यान्वयन इसके रोलिंग स्टॉक के लिए भविष्यसूचक रखरखाव की दिशा में एक पहला कदम है। ओएमआरएस प्रत्येक रोलिंग स्टॉक के स्वास्थ्य की निगरानी करता है और दोषपूर्ण बीयरिंग और पहियों की पहचान करता है। रोलिंग स्टॉक के लाइन की विफलता से पहले सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए सही समय का अलार्म उत्पन्न होता है। भारतीय रेलवे के पूरे रेल नेटवर्क में ओएमआरएस उपकरण लागू होने पर .यह इसके चाल की वर्तमान स्थिति को भी प्रभावित करेगा।

एलएचबी में पूर्ण रूपांतरण:
भारतीय रेलवे ने 2018-19 से मुख्य लाइन कोचों के निर्माण को पूरी तरह से एलएचबी डिजाइन वाली कोचों में रूपांतरित करने का फैसला किया है। पिछले कुछ वर्षों से उत्पादन इकाइयों में एलएचबी कोचों का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2004-05 से 2013-14 के बीच एलएचबी कोच का निर्माण 2327 थाजबकि 2014-15 से 2017-18 के बीच 5548 कोचों का निर्माण किया गया। 2018-19 के दौरान 4016 कोच बनाने की योजना प्रस्तावित है।

रेलवे द्वारा किए गए अथक प्रयासों के कारणपिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में 2017-18 के दौरान रेल दुर्घटनाएँ 104 से घटकर 73 रह गई है। वर्ष 2018-19 (1 अप्रैल2018 से 30 नवंबर2018 तक) ट्रेन दुर्घटनाओं में पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में 51 से लेकर 44 तक की कमी आई।

निम्नलिखित तालिका में दुर्घटनाओं का श्रेणी-वार विवरण दिया गया है: -

दुर्घटना के प्रकार
(अप्रैल से मार्च)2016-17
(अप्रैल से मार्च)
2017-18
2017-18
(1 अप्रैल से 30 नवम्बर)
2018-19
(1 अप्रैल से 30 नवम्बर)
टक्कर
5
3
3
0
पटरी से उतरना
78
54
39
35
मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएँ
0
3
1
3
मानव रहित लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएँ
20
10
8
3
ट्रेन में आगजनी
1
3
0
2
विविध प्रकार का
0
0
0
1
कुल
104
73
51
44

लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन
चालू वर्ष के दौरान अब तक 3478 मानवरहित लेवल क्रॉसिंग फाटकों को समाप्त कर दिया गया है।

प्रभावी रूप सेभारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है, एक को छोड़कर। चालू वित्त वर्ष में इसे भी समाप्त कर दिया जाएगा।

16 में से कुल 15 जोनल रेलवे अब ब्रॉड गेज पर मानवरहित लेवल क्रॉसिंग से मुक्त हैं।

चालू वर्ष में दिसंबर2018 तक, मानवरहित लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएं 2017-18 में 20 के मुकाबले घटकर 3 रह गई है।
ट्रैकों के रखरखाव में नई पहल
2017-18 में अबतक का सर्वाधिक 4405 किमी का रेल नवीनीकरण किया गया है और वर्तमान वर्ष के दौरान 11,450 करोड़ के परिव्यय के साथ 5,000 किमी रेल नवीनीकरण की योजना बनाई गई है। चालू वर्ष के दौरान अब तक 2812 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।

ट्रैक नवीनीकरण सहित सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की विशेष आरआरएसके निधि की व्यवस्था 5 वर्ष की अवधि के लिए किया गया है2017 में 20,000 करोड़ रुपये का वार्षिक परिव्यय बजट बनाया गया है।

रेल/ वेल्ड के टूट-फूट का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम का परीक्षण एनआर और एनसीआर में प्रत्येक 25 किमी ट्रैक की लंबाई पर शुरू किया गया है। परिक्षण के सफल होने के बादरेल/ वेल्ड फ्रैक्चर की जानकारी समय पर प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे में इस प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।

किसी भी अप्रिय घटना/ आपात स्थिति के वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने के लिए कीमैन और पैट्रोलमैन को जीपीएस आधारित ट्रैकर्स प्रदान किए गए हैं।

चालु ट्रैक पर काम कर रहे ट्रैकमेन को किसी भी ट्रेन के आने की पूर्व-चेतावनी देने के लिए वीएचएफ पर आधारित ट्रेन चेतावनी प्रणाली का परीक्षण पांच क्षेत्रीय रेलवे में पूरा किया जा चुका है और भारतीय रेलवे के स्वर्णिम चतुर्भुज और उसके विकर्ण मार्गों पर यह प्रणाली लागु करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इससे ट्रैक पर काम करने के दौरान ट्रैक अनुरक्षकों की व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

ट्रैक निरीक्षणनिगरानी और रखरखाव का मशीनीकरण

ट्रैक मशीनों के लिए अब तक की सबसे अधिक मंजूरी: 2014-18 के दौरान पूर्ण मशीनीकरण के लिए प्रति वर्ष मशीनों की औसत मंजूरी लगभग 1547 करोड़ रूपये की लागत से 117 हो गई हैजबकि 2014 में यह लगभग 560 करोड़ रूपये की लागत 63 थी। मशीनीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए चालू वर्ष के बजट में 7268 करोड़ रूपये की लागत से अब तक का सर्वाधिक 538 मशीनों की स्वीकृति प्रदान की गई है।


             विषय
                     वर्ष
   मशीनों की औसत मंजूरी
2004-09
2009-14
2014-18
2018-19
   ऩिधि (करोड़ रू में)
433
563
1547
7268
   मशीन ( संख्या में)
63
52
117
538

भारतीय रेलवे के रखरखाव बेड़े में पहली बार 7 उच्च आउटपुट इंटीग्रेटेड ट्रैक मशीनों को शामिल किया गया है, जो कि प्रभावी ब्लॉक घंटों की समान अवधि में 60 प्रतिशत ज्यादा आउटपुट देने वाली है। इस प्रकार की 22 और मशीनों का ऑर्डर दिया गया है और चालू वर्ष में सभी उच्च घनत्व वाले मार्गों को कवर करने के लिए 24 अन्य मशीनों को लगाया जाएगा। इसका उपयोग व्यस्त मार्गों पर यातायात ब्लॉक का बेहतर उपयोग के साथ व्यस्त मार्गों पर ट्रैक रखरखाव के लिए काम करने वाली मशीनों में बेहतर सुरक्षा और अल्पव्यय के लिए हो सकेगा।

भारतीय रेलवे में पहली बार मशीन के उत्पादन की वर्तमान क्षमता को दोगुना करने के लिए उच्च आउटपुट बीसीएम (एचओबीसीएम) के साथ स्टेबलाइजर और गिट्टी विनियमन प्रणाली को मार्च2019 से शुरू करने की योजना है। यह ट्रैक रखरखाव में, सुरक्षा और अल्पव्यय में सुधार के साथ-साथ व्यस्त मार्गों पर रखरखाव स्लॉट का बेहतर उपयोग कर सकेगा।

एक नया 3 डी अत्याधुनिक टैंपिंग सिम्युलेटर, उन्नत ट्रैक रखरखाव मशीनों के संचालन के लिए और ट्रैक मशीन ऑपरेटर के कौशल विकास और व्यवहारिक हैन्ड-ऑन प्रशिक्षण के लिए भारतीय रेलवे ट्रैक मशीन ट्रेनिंग सेंटर इलाहाबाद (आईआरटीएमटीसी) में पहली बार स्थापित और चालू किया गया है। इस प्रकार का उन्नत प्रौद्योगिकी सिम्युलेटर अब तक भारत सहित केवल पांच देशों में ही उपलब्ध है।

इसके परिणामस्वरूप, अत्याधुनिक टैम्पिंग मशीन का बेहतर उपयोग और रखरखाव के लिए दिए जाने वाले प्रशिक्षण में सुधार हो सकेगा।

मानव इंटरफेस पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग- मानव इंटरफ़ेस और संसाधनों के कुशल आवंटन पर निर्भरता को कम करने और सुरक्षा में सुधार के लिए सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध तकनीक का चयन किया। ट्रैकों का बेहतर निरीक्षणरखरखाव और निगरानी के लिए निम्नलिखित नई तकनीकों के प्रवर्तन और प्रसार करने का निर्णय लिया गया है।

ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार (जीपीआर) ट्रैक गिट्टी सतह के स्थिति की निगरानी के लिए (बैलास्ट कुशन की सफाईबैलास्ट पिंडिका तैयार करना और निर्माण में बैलास्ट को डालना) और 500 जीएमटी  या 10 साल की अवधि की जांच के वर्तमान अभ्यास के स्थान पर ट्रैक की गहराई से जांच को प्राथमिकता देने के लिए।

उच्च घनत्व ट्रंक मार्गों पर तेज गति के ट्रेन में पायलट आधार पर 40 रैकों में एक्सल बॉक्स माउंटेड एक्सेलेरोमीटर, ट्रैक की आवश्यकता पर तत्काल ध्यान देने के लिए और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दैनिक आधार पर अलर्ट जारी करने के लिए।

जोनल रेलवे द्वारा मध्यवर्ती निरीक्षण के लिए मशीन वीजन के साथ ट्रैक कंपोनेंट कंडीशन मॉनिटरिंग सिस्टम को 16 एलएचबी आधारित ओएमएस कोच में लगाने की योजना है, जिससे ट्रैक घटकों की दोष सूची प्राप्त करके मानव निरीक्षण पर निर्भरता को कम किया जा सके।

रोलिंग संपर्क श्रम के कारण होने वाले फ्रैक्चर को नियंत्रित करने और रेल के रखरखाव के लिए, पूरक स्विच ग्राइंडिंग मशीनों के साथ रेल ग्राइंडिंग मशीनें और आरआईवी से पूरे भारतीय रेलवे ट्रैक को कवर करने की योजना है। यह फ्रैक्चर में कमी लाकर परिसंपत्तियों की विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा। भारतीय रेल में पहली बार 2 स्विच रेल ग्राइंडिंग मशीन (एसआरजीएमऔर 2 रेल निरीक्षण वाहन (आरआईवीका ऑडर दिया गया है।

लंबे रेल पैनल का संचालन: - रेलवे सेवा के प्रदर्शन में सुधार के लिए, लंबे रेल पैनलों की लोडिंग/ अनलोडिंग के लिए अत्याधुनिक मशीनीकृत प्रणाली को मंजूरी दी गई है जिससे कि लंबी रेल का परिचालन सुरक्षित किया जा सके।

रेल/ वेल्ड दोषों के प्रसार की निगरानी और पहचान करके ट्रैक की सुरक्षा में सुधार कर संपूर्ण भारतीय रेलवे नेटवर्क को कवर करने के लिए यूएसएफडी वाहन (एसपीयूआरटी कार) की मंजूरी दी गई है।

संपूर्ण भारतीय रेलवे नेटवर्क को कवर करने के लिए, कंपोनेन्ट मोनिटरिंग​​एक्सल बॉक्स ऐक्सेलरेशन मेजरमेंट और क्लीयरेंस मेजरमेंट सिस्टम की सुविधा के साथ लेजर आधारित इंटीग्रेटेड ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों की स्वीकृत दी गई हैं।

                              मेक इन इंडिया

यूरोपीय मानक के सेमी-हाई स्पीड ट्रेन-सेट्स का प्रवर्तन: आईसीएफ ने स्वदेशी प्रयासों के साथ स्व प्रस्तावित सेमी-हाई स्पीड (160 किमी/प्रति घंटाट्रेन-सेट का निर्माण किया हैजिसका नाम ट्रेन-18 रखा गया है और वह समकालीन विशेषताओं के साथ वैश्विक मानकों के अनुरूप है। आईसीएफ द्वारा अक्टूबर 2018 में पहला ट्रेन-सेट तैयार कर लिया गया और जल्द ही इसे निरीक्षण और परीक्षण के बाद सेवा के लिए तैयार की जाएगी।

आईसीएफ इस वर्ष कम से कम दो और रैक बना रहा है। 2019-20 में प्रेरण के लिए प्रतिक्रिया और आवश्यकताओं के लक्ष्ति आधार पर इसका नियत समय पर संचार किया जाएगा। प्रतिक्रिया और आवश्यकताओं के लक्ष्य के आधार पर नियत समय पर इसे 2019-20 में प्रवर्तन किया जाएगा।

भारतीय रेल के लिए यूटिलिटी व्हीकल (यूटीवी)रेल बाउंड मेंटेनेंस व्हीकल (आरबीएमवी)ट्रैक बिछाने वाला उपकरण (टीएलई)रेल थ्रेडर और रेल-सह-सड़क वाहन (आरसीआरवी)- जैसे ट्रैक मशीनों के बेड़े में लगभग 20-25 प्रतिशत निर्माण में 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण का प्रयोजन पहले ही किया जा चुका है।

मशीनों के मौजूदा बेड़े का 70 प्रतिशत का निर्माण दुनिया के प्रमुख निर्माताओं द्वारा किया जा रहा है, जिसमें 20 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत की सीमा तक स्थानीय सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।

मेक इन इंडिया पॉलिसी के अंतर्गत, अब स्थानीय सामग्री के उपयोग को न्यूनतम 51 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया जा रहा है। मेक इन इंडिया से प्रोत्साहित होकरट्रैक मशीनों का उत्पादन करनेवाली दुनिया की एक प्रमुख कंपनी द्वारा गुजरात में एक विनिर्माण संयंत्र की स्थापना की जा रही है और जिसमें मई 2019 तक उत्पादन के शुरू होने की उम्मीद है।                             
                           
                               तकनीकी विकास

सुरक्षा में बढ़ोत्तरी हेतु वेल्ड की गुणवत्ता में सुधार के लिए एंटी वेल्डिंग टेक्नोलोजी में सुधार किया गया है।


मोटे वेब स्विच: भारतीय रेल नेटवर्क में केवल मोटे वेब स्विच का उपयोग करने का नीतिगत निर्णय लिया गया है। यह लूप लाइनों के लिए उच्च स्वीकार्य गति के कारण गतिशीलता को बढ़ाता है तथा सुरक्षा और स्थिरता में सुधार लाता है।

वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग: भारतीय रेलवे के सभी महत्वपूर्ण मार्गों पर वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग प्रदान करने की योजना है। पहली बारलगभग 4000 की संख्या में वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग के निर्माण और आपूर्ति का आदेश दिया गया है। कार्यरत एजेंसियों को सीएमएस क्रॉसिंग का तैयार उत्पाद आयात करने के बजायअपेक्षित बुनियादी ढाँचे को स्थापित करने की आवश्यकता हैजो कि प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के अलावा  ‘मेक इन इंडिया मिशन में भी योगदान दे सकेगा।

रेलों और वेल्डों के अल्ट्रासोनिक परीक्षण में उन्नति: एनालॉग यूएसएफडी टेस्टिंग मशीनों को डिजिटल यूएसएफडी टेस्टिंग मशीनों द्वारा बदल दिया गया हैजो कि डाटा लॉगिंग, परीक्षण परिणामों को ऑन-लाइन एप्लिकेशन टीएमएस और पीसी में सहेजने और स्थानांतरित करने  में सक्षम हैं।

ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम: यह वेब-सक्षम आईटी एप्लिकेशन, ब्रिज मास्टर डाटाड्रॉइंगफोटोग्राफ आदि के सभी पहलुओं को कवर करता है। यह भारतीय रेलवे के पुलों से संबंधित सभी पहलुओं के लिए इकलौता आईटी-आधारित भंडार होगा जैसे मास्टर डेटास्थितिनिरीक्षणडिजाइन चित्र आदि। रेल मंत्री द्वारा 12 जुलाई2018 को इस अप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया। इसे विभिन्न पुल निरीक्षणों में शामिल करने के लिए और विकसित किया जा रहा है।

विकसित स्लीपर्स और फिटिंग

कंक्रीट स्लीपर में सुधार: ट्रैक संरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए2014 में एक व्यापक और ठोस स्लीपर विकसित किया गया जो कि 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 25 टी एक्सल का भार उठाने में सक्षम है। पाँच ज़ोनल रेलवे में सफल फील्ड परिक्षण के बाद, वित्तीय वर्ष 2019-20 से व्यापक और भारी स्लीपर को अपनाया गया है और इसका पूर्ण उपयोग करने के लिए अनुमोदन किया गया है। इसे ड्राइंग बोर्ड से लेकर ट्रायल के लिए मैदान में प्रविष्टि तक के सामान्य से से लिए जाने वाले समय 8-10 साल की अवधि के मुक़ाबले 3 साल के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।

ट्रैक क्रॉसिंग की अनुमति के लिए वेब आधार प्रणाली - विभिन्न सार्वजनिक उपयोगिताओं यानी पानी/ सीवरेज/ गैस पाइपलाइनओएफसी केबल आदि से संबंधित ट्रैक क्रॉसिंग की अनुमति प्रदान करने के लिए एक वेब आधारित प्रणाली का विकास किया गया है और उसका परिचालन भारतीय रेलवे द्वारा 01.04.2015 से किया गया। यह प्रणाली अनुमति प्रदान करने तक, ऑनलाइन आवेदन जमा करने और स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने की सुविधा प्रदान करती है। यह आवेदन की स्थिति को जानने के लिए उपयोगकर्ता को रेलवे कार्यालयों का लगातार चक्कर काटने से बचाता है।

ट्रैक क्रॉसिंग मामलों की निकासी में तेजी लाने के लिएडीआरएम को सभी मामलों में शक्ति प्रदान करने की मंजूरी प्रदान की गई है।

भूमि डाटा प्रबंधन- केंद्रीकृत भूमि डाटा के रख-रखाव को बनाए रखने के लिए भूमि प्रबंधन मॉड्यूल नामक एक वेब आधारित अनुप्रयोग को, भारतीय रेलवे की ट्रैक प्रबंधन प्रणाली (टीएमएस) के साथ एकीकृत करके विकसित किया गया है, अर्थात् डिजिटल रूप में भारतीय रेलवे का अधिग्रहण/ क्षेत्र/ उपयोग और भूमि बैंक के लिए भूमि योजनाओं का विवरण इसमें शामल है। भारतीय रेलवे ने भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने से संबंधित अधिकांश कामों को समय से पहले ही पूरा कर लिया है।
भारतीय रेलवे ने एक एकड़ से ज्यादा के खाली भूखंडों के विवरणों का भी डिजिटलीकरण किया है।

                             बुनियादी विकास

समर्पित मालवाहक कॉरिडोर (डीएफसीके माध्यम से क्षमता विस्तार

समर्पित मालवाहक कॉरिडोर (डीएफसी) जैसी रणनीतिक परियोजनाओं को चालू करने पर विषेश ध्यान है।

इस वर्ष के दौरान, पूर्वी और पश्चिमी समर्पित मालवाहक गलियारों का काम पूरी गति से आगे बढ़ा है और पश्चिमी समर्पित मालवाहक कॉरिडोर पर फुलेरा- अटारी खंड पर और पूर्वी समर्पित मालवाहक कॉरिडोर पर खुर्जा- भादन सेक्शन में मालगाड़ी का सफल परीक्षण क्रमशः अगस्त और नवंबर 2018 में किया गया है। वित्तीय वर्ष के अंत तक, मालवाहक ट्रेनों का परीक्षण रेवाड़ी - मदार खंड, पश्चिमी समर्पित मालवाहक कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) और खुर्जा - भूपुर खंड, पूर्वी समर्पित मालवाहक कॉरिडोर के विस्तारित खंडों के साथ पूरा कर लिया जाएगा।

मार्च 2020 तक डेडिकेटेड मालवाहक कॉरिडोर को पूर्ण रूप से चालू कर दिया जाएगा।

पश्चिमी और पूर्वी डीएफसी के खंडों में डब्ल्यूडीएफसी का 190 किमी, अटारी-फुलेरा भाग 15 अगस्त2018 को खोला गया जबकि ईडीएफसी के 194 किमी वाले न्यू खुर्जा- भादन भाग को 23 नवंबर2018 को खोला गया।

एनएलजीसी और दोहरीकरण की शुरूआत:

एनएलजीसी और दोहरीकरण की शुरूआत
क्रम सं.
   विषय
2009-14 का औसत
2014-15
2015-16
2016-17
2017-18
2018-19का लक्ष्य
1
नया लाइन
345.5
380
813
953
409
1000
2
जीसी
799.5
880
1042
1020
454
1000
3
दोहरीकरण
375
723
973
882
999
2100
4
कुल
1520
1983
2828
2855
1861.94**
4100
5
औसत किमी/दिन
4.16
5.43
7.75
7.82
5.10
11.23

** 2017-18 के दौरान1862 किलोमीटर को चालू किया गया। (कटौती का कारण रेल का ध्यान रेल नवीनीकरण से ज्यादा सुरक्षा की ओर देना)
ट्रैक नवीनीकरण की प्रगति 2016-17 में 2597 टीकेएम थी2017-18 में ट्रैक नवीकरण 4405 टीकेएम (ट्रैक किलोमीटर) था।

2004-14 के दौरानप्रति दिन 4.1 किमी (1496 किमी प्रति वर्ष) का औसत प्रवर्तन।

2014-18 में6.53 किमी प्रति दिन (2382 किमी प्रति वर्ष) का औसत प्रवर्तन।

2015-16 में प्रति दिन 7.75 किमी का प्रवर्तन (2828 किमी प्रति वर्ष)।

2016-17 के अवधि के दौरान2855 किमी ट्रैक (7.8 किमी/ दिन) को यात्री सेवाओं की शुरूआत करके किया गया जो कि अब तक की सबसे बड़ी प्रगति है।

व्यय:

2009-14 में नई लाइन/ गेज रूपांतरण/ दोहरीकरण परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष औसत व्यय 11,527 करोड़ रुपया था।

2014-18 में नई लाइन/ गेज रूपांतरण/ दोहरीकरण परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष औसत व्यय 24,461 करोड़ रुपया है, जो 2009-2014 के औसत से 112 प्रतिशत अधिक है।

पहले 7 महीनों (अक्टूबर तक) का व्यय 15,090 करोड़ रुपया है, जो कि पिछले किसी भी वर्ष में खर्च हुए पूरे रकम की तुलना में बहुत ज्यादा है।

इसके अलावा2018-19 के लिए 34,835 करोड़ रुपये (एनएल/ जीसी/ डीएल) के बजट के आवंटन की योजना बनाई गई है।

दोहरीकरण/ तीसरी और चौथी लाइन का: 2009-2014 मेंबजट में सिर्फ 5970 किमी का दोहराकरण/ तीसरी और चौथी लाइन के कार्यों को शामिल किया गया था।

इसके अलावा2013-14 तकनिधियों की सामान्य रूप से सीमित उपलब्धता के कारणअधिकांश परियोजनाएँ संतोषजनक रूप से प्रगति नहीं कर पा रही थीं।

जिसके कारण यातायात अवरोध और मौजूदा नेटवर्क पर यातायात रखरखाव ब्लॉकों की उपलब्धता में गंभीर रूप से कमी और सुरक्षा की चिंता उत्पन्न हुई थी।
2014-15 से14,480 किमी दोहरीकरण/ तीसरी और चौथी लाइन के कार्यों को बजट में शामिल किया गया है।

इन क्षमता संवर्धन परियोजनाओं में तेजी लाने के लिएसंस्थागत वित्तपोषण के माध्यम से धन की व्यवस्था की गई है।

इसके अलावापरियोजनाओं की भौतिक प्रगति के आधार परअंतिम मील तक की कनेक्टिविटी परियोजनाएं और मौजूदा मार्गों को समाप्त करने की परियोजनाओं के आधार परप्रत्येक परियोजना के लिए पर्याप्त धन का आवंटन किया जा रहा है।

कमिशनिंग:

विषय
2009-14का औसत
2014-15
2015-16
2016-17
2017-18
2018-19
2019-20
2020-21
2021-22

विकास
लक्ष्य
योजना
दोहरीकरण की शुरूआत
375
723
973
882
999
2100
4430
3985
3800

2009-2014: 1875 
2014-17: 2578 
पिछली अवधि की तुलना में 229 प्रतिशत अधिक है।
2017-18: 999 किमी (अब तक का सबसे ऊंचा स्तर)
2018-19: 2100 किलोमीटर का लक्ष्य
व्यय:
2009-2014: 12,307 करोड़ रूपया (2462 करोड़ रूपया/ वर्ष)
2014-2018: 51,149 करोड़ रूपया (10,229 करोड़ रूपया/ वर्ष)।
पिछली अवधि की तुलना में 415 प्रतिशत अधिक।
,
उत्तर पूर्व क्षेत्र में रेलवे का विकास
उत्तर पूर्व क्षेत्र में पिछले चार वर्षों की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:
प्रमुख निर्माण और चालू परियोजनाएं:
2014-15 
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,
पूर्वोत्तर राज्यों से कनेक्टिविटी:
मेघालय को रेल मानचित्र पर माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिनांक 29.11.2014 को लाया गया जब उन्होंने मेघालय के मेंदीपाथर से गुवाहाटी के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
28 
राज्य की राजधानियों से कनेक्टिविटी:
रेलवे इंजीनियरिंग के चमत्कारी कार्य:
जिरिबाम - तुपुल - इम्फाल नई लाइन परियोजना: मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के नोनी में ईरांग नदी पर 141 मीटर की ऊँचाई वाला भारत का सबसे ऊँचा पुल का निर्माण जिरीबाम-तुपुल-इम्फाल नई लाइन परियोजना के हिस्से के रूप में किया जा रहा है। 
इसकी ऊंचाई संयुक्त रूप से दो कुतुबमीनार के बराबर होगी।
भैरबी-सियारंग नई लाइन परियोजना (51.3 किमी) में 70 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले छह लम्बे पुल होंगे।
मेगा परियोजनाएं (बोगीबील ब्रिज की शुरूआत):
यह भारत का सबसे लंबा रेल-सह-रोड ब्रिज है। (4.94 किमी लंबा ब्रिज)
असम राज्य में डिब्रूगढ़ के नजदीक ब्रह्मपुत्र नदी के आर-पार,
डबल लाइन ट्रैक, तीन लेन रोड के साथ और कुल रेलवे ट्रैक 74 किमी,
,
परियोजना की कुल लागत लगभग 5,820 करोड़ रूपये है।
2016-17 में, एनएफ रेलवे के तिनसुकिया डिवीजन में डीईएमयू सेवाएं की शुरूआत की गई। असम के बराक घाटी क्षेत्र के सिलचर में और त्रिपुरा के अगरतला में नए कोचिंग डिपो क्रियाशील किए गए हैं। इन उपायों के माध्यम से अलग-थलग पड़े नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की गई है।
उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए निम्नलिखित परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है:
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स्टेशन सौंदर्यीकरण
भारतीय रेलवे में स्टेशन पुनर्विकास के लिए पहल
हबीबगंज और गांधीनगर में फरवरी 2019 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।

                           बेहतर यात्री सेवाएँ
भारतीय रेलवे ने निम्नलिखित नई आधुनिक ट्रेनें/ कोचों की शुरूआत की हैं:
निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं प्रस्तुत की गई हैं: -
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एकीकृत ब्रेल डिस्प्ले आदि।
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बंद गलियारा,
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सौंदर्यपरकता रूप से मनभावन रंग योजना।
विस्टाडोम कोच: इन कोचों के द्वारा बढ़े हुए दृश्यांत क्षेत्र, जिसमें छत भी शामिल है,  प्रदान किया जाता है जिससे कि पर्यटकों को यात्रा के दौरान मनोरम दृश्य का आनंद लेने को सुविधाजनक बनाया जा सके। इन सुविधाओं को अच्छी तरह से प्रदान किया गया है। इस प्रकार के कुल चार कोच दर्शनीय क्षेत्रों में सेवारत हैं।
मॉडल रैक: मॉडल रैक में निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:
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सौंदर्यपरकता के साथ शौचालय मॉड्यूल,
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,
,
पहली मॉडल रैक की शुरूआत जनवरी 2016 में नई दिल्ली-वाराणसी के बीच महामना एक्सप्रेस में शुरू की गई थी। भोपाल एमएलआर वर्कशॉप ने 120 से अधिक मॉडल रैक कोच बनाए हैं। आईसीएप ने भी 24 मॉडल रैक कोच बनाए हैं। वर्तमान समय में इस प्रकार की कुल चार रैक सेवारत हैं।
कोचों का उन्नयन:
 2014-15 से 2016-17 तक कोचों की संख्या
2017-18 के दौरान कोचों की संख्या
2018-19 के दौरान कोचों की संख्या
820 कोच
4180 कोच
6465 कोच

डिजिटल लेनदेन का प्रचार:
क्रेडिट/ डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान की स्वीकृति के लिए विभिन्न यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस)/ अनारक्षित टिकट प्रणाली (यूटीएस), बुकिंग कार्यालयों और पार्सल और माल स्थानों पर प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों की स्थापना।
) / 
ऑनलाइन बुकिंग टिकट सेवा पर शुल्क की वापसी।
पीआरएस/ यूटीएस काउंटरों पर यात्रा टिकट खरीदने के लिए क्रेडिट/ डेबिट कार्ड पर लेनदेन सेवा शुल्क की वापसी लागू।
डिजिटल माध्यम से खरीदे गए सीजन टिकटों पर 0.5 प्रतिशत की छूट का प्रावधान।
100 रूपये या उससे अधिक के टिकटों पर यूपीआई/ भीम के माध्यम से किए गए भुगतानों पर टिकट की कीमत पर 5 प्रतिशत की रियायती छूट, अधिकतम 50 रूपये तक।
रिचार्ज कराते समय बोनस के रूप में रिचार्ज मूल्य का 5 प्रतिशत कमीशन।
मोबाइल फोन से अनारक्षित टिकट बुकिंग कराने के मामले में आर-वॉलेट।
स्वचालित टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) के माध्यम से टिकट बुकिंग को प्रचारित करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में स्वचालित टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) के प्रत्येक रिचार्ज पर 3 प्रतिशत के बोनस का प्रावधान।
यात्री सुविधा को बढ़ावा:
मोबाइल फोन के माध्यम से टिकट बुकिंग की शुरूआत - अनारक्षित टिकट बुकिंग के लिए यूटीएसऑनमोबाइलऐप और आरक्षित टिकट बुकिंग के लिए आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ऐप।
अगले पीढ़ी के ई-टिकटिंग सिस्टम (एनजीईटी) का शुभारंभ, ई-टिकटिंग के सुगमता में सुधार लाने और समग्र अनुभव को बढ़ाने के लिए।
रक्षा कर्मियों के लिए टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग के लिए रक्षा यात्रा प्रणाली की शुरूआत।
विकलांग व्यक्तियों और मान्यता प्राप्त प्रेस संवाददाताओं के लिए रियायती ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा का प्रावधान।
कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली को युक्तिसंगत बनाना, जिससे आरक्षण चार्ट की समयबद्ध तैयारी औरखाली बर्थ को अगले दूरस्थ स्थान तक स्थानांतरित करने को अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके।
प्रतीक्षारत यात्रियों को सुनिश्चित सीट प्रदान करने के लिए सभी ट्रेनों में वैकल्पिक ट्रेन सामंजस्य योजना जिसे विकल्प  योजना के रूप में भी जाना जाता है।
ट्रेन के परिचालन की स्थिति में परिवर्तन के दौरान यात्रियों के लिए एसएमएस अलर्ट की सुविधा का प्रावधान, जैसे ट्रेनों का एक घंटा से अधिक समय के लिए रद्द होना/ विलंब होना आदि।
किसी भी आरक्षित वर्ग में यात्रा करने के लिए पहचान प्रमाण के रूप में डाउनलोड किए गए ई-आधार और एम-आधार को मान्यता।
पूरी टीम का समन्वय और ट्रेन की पूरी यात्रा के दौरान सभी सेवाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए जिम्मेदार "एकल व्यक्ति/ नेता" के रूप में "ट्रेन कप्तान" की अवधारणा को प्रस्तुत किया गया है।
फुट ओवर ब्रिज और उच्च स्तरीय प्लेटफार्म, सभी स्टेशनों के लिए न्यूनतम आवश्यक श्रेणी में शामिल किया गया है और इसके अनुसार भारतीय रेलवे के सभी स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से एफओबी और उच्च स्तरीय प्लेटफार्म प्रदान किया जाएगा। साथ ही हॉल्ट स्टेशनों सहित ब्रॉड गेज के सभी स्टेशनों का निर्माण, उच्च स्तरीय प्लेटफार्मों और फुट ओवर ब्रिज के साथ किया जाएगा।
मंडल रेल प्रबंधकों (डीआरएम) को विकलांग पीसीओ बूथ धारकों के लाइसेंस को संतोषजनक प्रदर्शन के आधार पर अनुबंध की अवधि को एक वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार दिया गया है।
जोनल रेलवे को प्रति प्लेटफॉर्म एक व्हीलचेयर प्रदान करने की सलाह दी गई है और आइलैंड प्लेटफॉर्म के मामले में सभी ए-1 और ए श्रेणी के स्टेशनों पर दो प्लेटफार्मों के लिए एक व्हीलचेयर प्रदान की गई है। महाप्रबंधकों को स्टेशन पर यात्री यातायात की संख्या के आधार पर और स्टेशनों में व्हील चेयर की आवश्यकता के आकलन के आधार पर, स्टेशनों में व्हील चेयर की संख्या को कम करने/ बढ़ाने के लिए अधिकृत किया गया है।
प्रतीक्षालय के अंदर, स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तनपान कराने के लिए एक कोने के रूप में एक अलग क्षेत्र का प्रावधान।
प्रति घंटे की बुकिंग के हिसाब से प्रतिक्षागृह की ऑनलाइन बुकिंग।
प्रचार मार्ग या सीएसआर के माध्यम से स्टेशनों पर बैटरी संचालित वाहनों (बीओवी) के लिए "सारथी सेवा" का शुभारंभ।
व्हील चेयर सेवा सह कुली सेवाओं की बुकिंग के लिए प्रमुख स्टेशनों पर "यात्री मित्र सेवा" का शुभारंभ।
                                स्वच्छता
स्वच्छता के महत्वपूर्ण उपायों में शामिल हैं:
मार्च 2018 तक 488 रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत यंत्रीकृत सफाई की सुविधा प्रदान की गई। जिसे अब 697 स्टेशनों पर उपलब्ध करवाया गया है।
407 प्रमुख रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता मानकों पर यात्री धारणाओं की स्वतंत्र तृतीय पक्ष का सर्वेक्षण 2016 में पहली बार किया गया और जिसे 2017 और 2018 में दोहराया गया।


2004-2014
2014-2017
2017-2018
2018-19 (नवम्बर तक)
जैव-शौचालय
9587
59735
57086
40937
कोच
3647
16123
15017
11107

मेक इन इंडिया: कोचें
हवा अनुकूलन को बेहतर बनाने और उसकी निगरानी करने के लिए और सुधार किए जा रहे हैं जो कि ताजी हवा और बिजली के खपत की मात्रा के साथ कोच के अंदर प्रदूषित कणों की निगरानी करेंगे। आपातकालीन निकासी के लिए यात्री घोषणा और सूचना प्रणाली के साथ एकीकृत अग्नि और धुआं पहचान इकाई का प्रावधान क्या गया है, जिसके माध्यम से अग्नि सुरक्षा, चरणबद्ध पहचान के साथ वीडियो विश्लेषण और असामान्य घटना के लिए सुविधाएँ, सुरक्षा और बचाव को बढ़ाया जाएगा।
वातानुकूलित ईएमयू रैक: 25.12.2017 को मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में प्रोटोटाइप पूर्ण वातानुकूलित ईएमयू रैक को सेवा में लाया गया। चालू वर्ष के दौरान 6 और रैक को शामिल किए जाने की उम्मीद है। इसके बाद, 2019-20 में इस तरह के अन्य रैक शामिल किए जाएंगे और साथ ही उपनगरीय सेवा के इतिहास में पहली बार आंशिक रूप से वातानुकूलित रैक भी शामिल किए जाएंगे। मुंबई उपनगरीय के मौजूदा 78 ईएमयू रैक को आंशिक रूप से वातानुकूलित करने की योजना है। इस प्रकार का पहला रैक को 2019 की पहली तिमाही के बाद में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
कोच उत्पादन का तुलनात्मक प्रदर्शन:
उत्पादन इकाइयों के माध्यम से कोच का उत्पादन तेज गति से बढ़ रहा है।
कोच उत्पादन – उत्पादन इकाइयां
उत्पादन इकाइयां
2013-14
2014-15
2015-16
2016-17
2017-18
2018-19
2018-19
लक्ष्य
18 नवंबर तक वास्तव में
आरसीएफ
1550
1480
1603
1489
1251
1374
837
आईसीएफ
1604
1678
1997
2215
2397
3156
2062
एमसीएफ
130
140
285
576
711
1232
844
हल्दीया
5
16
48
0
85
30
49
कुल
3289
3314
3933
4280
4444
5792
3792
इन्फ्रास्ट्रक्चर उत्पादन इकाइयों पर कैपेक्स: आधारभूत संरचना के व्यय में वृद्धि हुई है और इसलिए निम्न तालिका से दिखाए गए कार्यों को भी पूरा किया जा रहा है:



2015-16
2016-17
2017-18
2018-19
Unit
बजट अनुदान बनाम अंतिम व्यय
बीई
2624.2
3679.98
3339.27
2579
रू. करोड़
एफएम
2027.97
2951.91
2386.7

रू. करोड़
काम की समाप्ति
नंबर
0
112
75
105
नंबर
खर्च
0
1103.6
1775.4
2393.5
रू. करोड़

:
उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए निम्नलिखित परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है:
वर्ष 2017-18 में 90 करोड़ रुपये की लागत से न्यू बोंगाईगांव में एलएचबी कोचों के नवीनीकरण के लिए कार्यशाला की मंजूरी दी गई। निविदा प्रदान कर दी गई है, काम जल्द ही शुरू होने के लिए तैयार।
                             रेलवे का विद्युतीकरण
आरई परियोजनाओं के लिए विभिन्न रेखांकन/ आरेखीय/ योजना अनुमोदन के लिए समय और अनुमोदन प्राधिकारी को फिर से परिभाषित किया गया है।
बड़े आकार की परियोजनाओं यानी 300/500/1000/ 1500 आरकेएमएस के संकुचन के लिए ईपीसी  मोड को अपनाना।
ओएचई निर्माण कार्यों के लिए मशीनीकृत निष्पादन पर जोर।
बुनियादी कार्यों के त्वरित और मशीनीकृत निष्पादन के लिए बेलनाकार कास्ट इन-सीटू और पूर्वनिर्मित नींव को विकसित किया गया।
बुनियादी काम को गति प्रदान करने के लिए चट्टानी मिट्टी में लंगर बोल्ट प्रकार के नींव  को विकसित किया गया।
विद्युतीकरण की लागत को कम करने और कार्य के निपटारे में तेजी लाने के लिए, कम घनत्व वाले यातायात मार्गों के लिए ओएचई डिजाइन को फिर से तैयार किया गया।
डीजल लोकोमोटिव वर्क्सवाराणसी और डीजल आधुनिकीकरण वर्क्सपटियाला को इलेक्ट्रिक इंजनों के उत्पादन के लिए पुनर्निर्मित किया गया है और पहले से ही मौजूद संसाधनों और इलेक्ट्रिक आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग करके 50 से अधिक इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण किया गया है।
इलेक्ट्रिक इंजनों के रखरखाव के लिए डीजल इंजनों को पुनर्निर्मित किया जा रहा है।
                     
                    महत्वपूर्ण परियोजनाएँ
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्रीमधेपुरा, बिहार ( मेक इन इंडिया का एक प्रोजेक्ट):
इस कारखाने का पहला चरण पूरा हो चुका है। पहले लोकोमोटिव को कारखाने से निकाला जा चुका है और जांच और परीक्षण का काम चल रहा है। इसके अलावा 2018-19 में चार इंजनों की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है।
डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्रीमरहौरा, बिहार ( मेक इन इंडिया का एक प्रोजेक्ट):
)
इलेक्ट्रिक इंजन:
हरित प्रौद्योगिकी का नया युग- एचओजी बिजली की आपूर्ति:
2017-18 के दौरान सीएलडब्लू द्वारा बनाए गए सभी पैसेंजर (डब्लूएपी7) इंजन होटल लोडर कन्वर्टर्स से सुसज्जित हैं। इस प्रणाली का मुख्य लाभ एंड पर जेनरेशन (ईओजी) प्रणाली की की तुलना में ओएचई के माध्यम से प्रदूषण मुक्त और सस्ती बिजली की आपूर्ति है, इसके अलावा पर्यावरण की रक्षा में मदद करने के लिए उत्सर्जनशोर स्तर और जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी जैसे अन्य लाभों की आपूर्ति की जाती है। यहां लगभग की बचत होती है। इसमें एचओजी आपूर्ति का उपयोग करके प्रतिदिन प्रत्येक जोड़ी रैक पर 1.5 लाख रूपया का बचत होता है। पिछले वर्ष के दौरान 43 की तुलना में, 2018-19 के पहले 9 महीनों (अक्टूबर18 तक) के दौरान 47 इंजन प्रदान किए गए हैं।
डब्लूएपी-5 लोकोमोटिव पुश-पुल प्रणाली:
इलेक्ट्रिक इंजनों का उन्नतीकरण:
'
डब्लूएजी-7 लोकोमोटिव में पुनरुत्पादक ब्रेकिंग की सुविधा का प्रावधान:
पारंपरिक इलेक्ट्रिक इंजनों (डीसी ट्रैक्शन मोटर के साथ फिट) को रिओस्टैटिक ब्रेकिंग के साथ प्रदान किया जाता है जिसमें ब्रेकिंग के दौरान उत्पन्न ऊर्जा गतिशील ब्रेकिंग प्रतिरोध (डीबीआर) में नष्ट हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा का अपव्यय होता है। डब्लूएजी-लोकोमोटिव में पुनरुत्पादक ब्रेकिंग सुविधा को विकसित किया जा रहा है और एक जेनरेटर कनवर्टर डब्लूएजी-लोकोमोटिव नंबर 2457 फिर से परीक्षण के अधीन है।  पुनरुत्पादन के कारण प्रति वर्ष इंजन के लिए लगभग 24.6 लाख रुपये की बचत होगी।
बैटरी के साथ 25 केवी एसी शंटिंग लोकोमोटिव का विकास:
ईपी सहायता प्रणाली का प्रावधान:
डीजल से इलेक्ट्रिक संकर्षण में लोकोमोटिव का रूपांतरण:
डीजल एचएचपी लोकोमोटिव को भी सफलतापूर्वक इलेक्ट्रिक में बदल दिया गया है और इसका परीक्षण चल रहा है।
सीएलडब्ल्यू में इलेक्ट्रिक इंजन का उत्पादन:
सीएलडब्ल्यू ने 2016-17 में 292 की तुलना में वर्ष 2017-18 के दौरान 350 इलेक्ट्रिक इंजंनो का उत्पादन किया है। एक छत के नीचे दुनिया का सबसे बड़ा इंजन निर्माता बनकर सीएलडब्ल्यू ने खुद को एक नया मील का पत्थर साबित किया है।
डीजल आधुनिकीकरण वर्क्सपटियाला में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का उत्पादन:
डीएमडब्लू  ने चालू वर्ष (नवंबर तक) के दौरान 21 डब्लूएपी-7 इंजनों को चालू किया है।
क्रू वॉयस/ वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस):
पहला इलेक्ट्रिक लोको नं 32001 को दिसंबर 2017 में क्रूज़ वॉयस/ वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस) के साथ शुरू किया गया है। यह प्रणाली विफलता के बाद  विश्लेषण के लिए लोकोमोटिव कैब के प्रभावी और टेम्पर्ड प्रूफ वीडियो और वॉयस रिकॉर्डिंग को सुनिश्चित करता है। सीवीवीआरएस को शुरूआती रूप में सीएलडब्लू के 20 लोको सेटों के लिए नियोजित किया जा रहा है।
सिम्युलेटर का प्रावधान:
2018-19 के पिंक बुक नं 1177 के प्रतिकूल दुर्घटनाओं को कम करने हेतु रनिंग स्टाफ को प्रशिक्षण देने के लिए के लिए एम एंड पी (प्लान हेड -41) के अंतर्गत 350 करोड़ रुपये की व्यय के साथ सिमुलेटर की स्थापना की मंजूरी दी गई है।
डीजल लोकोमोटिवस:
 (
डिस्ट्रिब्यूटेड पावर कंट्रोल सिस्टम (डीपीसीएस)-, वायरलेस डेटा रेडियो के माध्यम लोको को सिंक्रनाइज़ करने के लिए अग्रणी और सुदूरवर्ती इंजनों के बीच वास्तविक समय का संचार प्रदान करता है। क्षमता और चालक दल की आवश्यकताओं में कमी के साथ डीपीसीएस के माध्यम से मिलनेवाले मुख्य लाभ में इजाफा हुआ है। अब तक 145 डीज़ल लोको (एचएचपी-95 और एएलसीओ-50) को डीपीसीएस से उपयुक्त किया जा चुका है। एनएफआर ने नए बीजी सेक्शन में महत्वपूर्ण ग्रेडेड एलएमजी- बीपीबी पर अपनी सफल संचालन की शुरुआत की है। इसके अलावा ईसीआर भी डीपीसीएस के साथ मिलकर मालगाड़ी चला रही है, जिसने वैगन टर्न राउंड को बढ़ावा मिला है और इस प्रकार से गतिशीलता में भी वृद्धि हुई है। डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक इंजनों के रखरखाव के लिए प्रगतिशील रूप से बदला जा रहा है।
,
                           ऊर्जा दक्षता
सभी रेलवे स्टेशनों (8000 से अधिक) को 100 प्रतिशत एलईडी ल्यूमिनरीज़ से सुसज्जित किया गया है।
भारतीय रेलवे में 99 प्रतिशत सेवा भवन में 100 प्रतिशत एलईडी लाइट प्रदान किए गए हैं।
इससे भारतीय रेलवे में प्रतिवर्ष 240 मिलियन यूनिट बिजली की बचत होगी जिससे वार्षिक बिजली बिल में 80 करोड़ रूपये की बचत होगी।
खुली अभिगम्यता
रेलवे ने अप्रैल 2018 से सितंबर 2018 तक 1249 करोड़ रूपये की बचत की है।
K  
ऑटोमैटिक स्विचड न्यूट्रल सेक्शन (एएसएनएस)-
एएसएनएस का सफल परीक्षण अक्टूबर के महीने में (आरडीएसओ की देखरेख में) किए गया है।
यह भारतीय रेलवे के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम होने वाला है क्योंकि भारतीय रेलवे ने 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों के संचालन का फैसला किया है।
यह लोको पायलटों के तनाव को कम करने में मदद करेगा, जिससे ट्रेनों का कुशल और सुरक्षित संचालन संभव हो सकेगा।
इसके माध्यम से, लोको पायलट द्वारा डीजे खोलने के साथ तटस्थ अनुभाग में प्रवेश करने के कारण ओएचई में होने वाली किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सकेगा।
100 प्रतिशत ग्रीन ऊर्जायुक्त स्टेशन:
उत्तर रेलवे के फिरोजपुर डिवीजन के अंतर्गत आनेवाला मलवाल रेलवे स्टेशन, भारत का पहला ग्रीन ऊर्जायुक्त स्टेशन है (जनवरी 2011)। यह अपनी सभी बिजली की जरूरतों जैसे कि प्रकाश और पंखों के संचालन को केवल सौर ऊर्जा के माध्यम से पूरा कर रहा है।
मध्य रेलवे के मुंबई डिवीजन के अंतर्गत आनेवाला असंगावन रेलवे स्टेशन दूसरा 100 प्रतिशत ग्रीन ऊर्जायुक्त स्टेशन है जो कि पवनचक्की और सौर पैनल (मार्च 18) से संचालित होता है।
रेलवे अधिक से अधिक 100 प्रतिशत हरित शक्ति वाले स्टेशन बनाने की दिशा में व्यापक प्रयास कर रहा है।
वर्तमान वर्ष के लिए महत्वपूर्ण मील के पत्थर
भारतीय रेलवे विभिन्न स्टेशनों पर रोशनी के स्तर में सुधार करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। रोशनी के स्तर में सुधार के लिए समय-समय पर विभिन्न योजनाएं जारी की गई है। इस संबंध में लिया गया अंतिम मुख्य निर्णय, सभी रेलवे स्टेशनों के बल्बों को 100 प्रतिशत एलईडी लाईट से तब्दील करना था।
II 
                               मिशन रफ्तार
                 व्यावहारिक उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी
                हरित पहल: पर्यावरण की देखभाल के लिए
'
,  
2014-15 से 2016-17
2017-18
2018-19 (नवम्बर 2018 तक)
22
40 ट्रेनें
64 ट्रेनें
                          पर्यटन को बढ़ावा
विस्टाडोम कोच और हिल रेलवे: पर्यटकों को यात्रा के दौरान मनोरम दृश्य का आनंद देने के लिए इन कोचों को छत सहित बढ़े हुए देखने योग्य क्षेत्र की सुविधा प्रदान की की गई है। यह सुविधा अच्छी तरह से प्रदान की गई है। दर्शनीय क्षेत्रों में इस प्रकार के कुल चार कोच सेवा में हैं।
                       रेलवे में विरासत का संरक्षण

2018 मेंरेलवे ने रेल विरासत के सार्थक संरक्षण और विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतिगत सुधारों को लागू किया है। इनमें विरासत संबंधी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए बजट का निर्माणक्षेत्रीय स्तर की विरासत समितियों की एकीकृत संरचनास्टीम पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मंडल रेल प्रबंधकों को विशेष प्रतिनिधिमंडल शक्तियांविरासत संरक्षण के लिए सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान आदि शामिल हैं। इन सुधारों के परिणामस्वरूपइस वर्ष कांगड़ा वैली रेलवे (केवीआर) और नीलगिरि माउंटेन रेलवे (एनएमआर) पर स्टीम चार्टर सेवाओं का उद्घाटन हुआ, कालका शिमला रेलवे और नीलगिरि माउंटेन रेलवे पर विशेष स्टीम राउंड ट्रिप सेवाएं, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे में एसी कोच की शुरुआतदिल्ली डिवीजन में गढ़ी हसरू- फरूखनगर के बीच साप्ताहिक स्टीम सेवा की शुरूआतदक्षिण भारत में भाप के पर्यटक के लिए विशेष रूप से ईआईआर-21 (एक्सप्रेस) को चालु किया गयाजो कि विश्व के सबसे पुराने कामकाजी भाप इंजनों (वर्ष 1855 में निर्मित) में से एक है। इन सभी ने देश में स्टीम विरासत पर्यटन में रुचि पैदा करने में बहुत मदद की है। उठाए गए कदमों में शामिल हैं:

हाल के वर्षों में डिजिटल इंडिया के एक प्रमुख पहल के रूप मेंरेल मंत्रालय ने ऑनलाइन स्टोरीटेलिंग और आभासी वास्तविकता के माध्यम से उन्नत डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए भारतीय रेलवे की शताब्दी पुरानी विरासत को दुनिया भर में सुलभ बनाने के लिए गूगल की गैर-लाभकारी कला और संस्कृति पहल के साथ भागीदारी की है। यह भारतीय रेलवे द्वारा अपनी विरासत को डिजिटल करने और यह सार्वभौमिक रूप प्रदान करने के लिए इसे ऑनलाइन करने का पहला प्रयास है।

लाइफलाइन ऑफ ए नेशन, (https://g.co/indianrailways पर उपलब्ध), नाम की परियोजना 28 सितंबर2018 को रेल मंत्री द्वारा शुरू की गई। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पूरे भारत में भारतीय रेलवे के 3,000 से अधिक चित्रों150 वीडियो और 150 प्रतिष्ठित स्थानों के डिजिटल कहानियों को एक साथ संग्रहित करता है। यह परियोजना, भारतीय रेलवे में ट्रैक मैनस्टेशन प्रभारी और कार्यशाला इंजीनियरों जैसे लोगों की अल्प ज्ञात कहानियों और वीरतापूर्ण प्रयासों के बारे में बताने तथा उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए अंतर्दृष्‍टि प्रदान करती है।

रेलवे ने 15 अगस्त2018 को रेलवे की समृद्ध विरासत के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए भारत के चुनिंदा रेलवे स्टेशनों पर डिजिटल संग्रहालयों की शुरुआत की है। इस प्रयत्न का उद्देश्य भारतीय रेलवे की एक सदी से अधिक पुरानी विरासत के बारे में रेलवे स्टेशनों के प्रवेश द्वार और अलग-अलग सुविधाजनक क्षेत्रों में डिजिटल एलईडी स्क्रीन के माध्यम से एक से दो मिनट लंबी फिल्म क्लिप के माध्यम से जानकारी प्रदान करना है। लघु फिल्मों में भारतीय रेलवे की समृद्ध विरासत के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए धरोहर इमारतोंलोकोमोटिव और बहुत कुछ का प्रदर्शन किया जाएगा। 100 स्टेशनों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथअब तक इस प्रकार के स्क्रीन, 30 से अधिक स्टेशनों में सक्रिय हो चुके हैं।

औद्योगिक विरासत के एक जीवंत उदाहरण के रूप में और भारतीय रेलवे में तकनीकी विकास को चित्रित करने के लिएपांच मीटर गेज (एमजीऔर तीन संकीर्ण गेज (एनजीलाइनों की पहचान संरक्षण देने के लिए की गई है और उन्हें विरासत पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है।

दिसंबर2018 मेंरेलवे के इतिहास में पहली बारभारतीय रेलवे हेरिटेज चार्टर (आईआरएचसी)- 2018 को अधिसूचित किया गयाजिसमें रेलवे की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है और भारत की शताब्दी पुरानी समृद्ध रेलवे विरासत की बहालीबचाव और संरक्षण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं।

भाप इंजनों का पुनरुद्धार: भारतीय रेलवे की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए2017 से भाप इंजनों के पुनरुद्धार के लिए जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं। इससे परिणामस्वरूप, दुनिया के सबसे पुराने भाप इंजनों, ईआईआर 21 का पुनरुद्धार दक्षिण रेलवे की गोल्डन रॉक कार्यशाला द्वाराबेयर गर्राट का दक्षिण पूर्व रेलवे की खड़गपुर कार्यशाला द्वाराजेडबी 66 का कांगड़ा घाटी सैक्शन में और मिस मफेट का पूर्वी रेलवे के जमालपुर कार्यशाला में पुनरुद्धार किया गया है।

                   माल भाड़ा के लिए ग्राहक केंद्रित नीतियां

रेल परिवहन को अपने ग्राहकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए2017-18 में विभिन्न पहल की गईं जिसमें टैरिफ संगतिकरणनए वस्तुओं का वर्गीकरणकंटेनराइजेशन के माध्यम से माल ढुलाई बास्केट का विस्तार, नई डिलीवरी मॉडल जैसे आरओआरओ सेवाएंप्रमुख ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक शुल्क अनुबंध नीतिस्टेशन से स्टेशन दर पर आधारितडबल स्टैक ड्वॉर्फ कंटेनर (डीएसडीसी), ग्राहक अनुकूल तौल नीति का युक्तिकरण, वैगनों की मांग के लिए इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण (ई-आरडी) आदि शामिल हैं। 2017-18 में शुरू की गई इन नीतियों को मार्च 2019 तक आगे बढ़ाया गया है।

2018-19 के दौरान शुरू की गई मुख्य पहलें निम्नलिखित हैं: -

रेलवे रसीदों का इलेक्ट्रॉनिक संचरण (ईटी-आरआर)

ई-आरडी (वैगन की डिमांड के लिए इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण) की शुरुआत के साथईटी-आरआर को लागू किया गया है जो कि उपयोगकर्ता के अनुकूल और एक पेपरलेस लेनदेन प्रणाली हैं जहां रेलवे रसीद उत्पन्न होती है और इलेक्ट्रॉनिक रूप से ग्राहक को एफओआईएस के माध्यम से प्रेषित किया जाता है और ईटी-आरआर का ई-सरेंडर के द्वारा माल की डिलीवरी की जाती है। अर्थात्ग्राहक को भौतिक रेलवे रसीद को गंतव्य स्टेशन पर ले जाने से होने वाली परेशानी से बचाया जाता है। मध्य रेलवे के एक टर्मिनल, एचपीसीएल/ लोनी में इस पायलट परियोजना की सफलता के बादइसे मार्च 2018 में दूसरे चरण के लिए उत्तर रेलवे में लागू किया गया है। पैन इंडिया के आधार पर इसके प्रचार-प्रसार पर विचार किया जा रहा है।

ग्राहक अनुकूल तौल नीति का युक्तिकरण

जोनल रेलवे को 18/06/2018 से केस-दर-केस के आधार पर निजी साइडिंग में वेटोमीटर/ प्री-वेटबिन सिस्टम की अनुमति देने का अधिकार प्रदान किया गया है।

भरी हुई कंटेनर रैक के समान आकार के मानक बैग ले जाने वाले कंटेनरों के मामले में अनिवार्य (100 प्रतिशत) से वजन से छूट।

कंटेनर में एक समान आकार के मानक बैगों को लोड करने के मामले में वजन से छूट प्रदान दी गई है।

कम घनत्व वाली वस्तुओं जैसे पेट कोकमेट कोकचून्नी और डी-ऑइल केक को अनिवार्य वजन से छूट प्रदान की गई है।

नए वैगनों के डिजाइन किए गए वजन को बॉक्सनस्, बीसीएफसी, ब्रहनेश, बोबरनेश, बोबरनल, बीएफएनएसएम 22.9 नाम से अधिसूचित किया गया है।

कंटेनर यातायात के लिए कई रेलवे रसीदों का (आरआर) वितरण

भारतीय रेलवे ने 20.04.2017 से एक कंटेनर ट्रेन के लिए एक से अधिक कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों के पक्ष में कई रेलवे रसीदों की सुविधा बढ़ाई है। इसके लिए दिशानिर्देश हाल ही में सितंबर 2018 से लागू किए गए हैं। यह सुविधा बिल्कुल एक सही समय पर आई है क्योंकि शिपिंग मंत्रालय द्वारा भारतीय बंदरगाहों के बीच खाली कंटेनरों के बीच लोड किए गए विदेशी जहाजों के परिवहन पर व्यापार कानून में ढील दी है। 
इस छूट के माध्यम सेबंदरगाहों पर कंटेनरों के एकत्रीकरण से एक उत्साहवर्धक भराव की संभावना है। कई प्रकार से आरआर (रेलवे प्राप्तियां) की सुविधाएं प्रत्येक ऑपरेटर द्वारा एकत्रीकरण को बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
इसके अलावायह जीएसटी के मानकों के अनुरूप है और प्रत्येक ऑपरेटर को भुगतान किए गए माल के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने में मदद करेगा।

कंटेनरीकरण को बढ़ावा देना

कंटेनरीकरण को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं: -
डबल स्टैक ड्वॉर्फ कंटेनर के नए वितरण मॉडल को बढ़ावा देने के लिए, एफएके दर में 17 प्रतिशत की लागू रियायत को 31.03.2019 तक बढ़ाया गया है।

रेलवे टर्मिनल में कंटेनर ट्रेनों को संभालने के लिए टर्मिनल एक्सेस चार्ज (टीएसी) लगाने की कार्यप्रणाली में दोहरे ऑपरेशन के मामले में (यानी लोडिंग के बाद अनलोडिंग) इसको 1.5 गुणा से एक गुणा तक उदार बनाया गया हैजो कि ग्राहकों के गैर-माल ढुलाई के लागत को कम करता है।

11.07.2018 से प्रभावी होने के साथसीपी कोकएक प्रतिबंधित सामाग्री की आवाजाही को अब सीसीआर(कंटेनर क्लास रेट) में कंटेनर में परिवहन की अनुमति दी गई हैयानी कि गुड्स टैरिफ में लागु होने वाले वर्ग दर पर 15 प्रतिशत की रियायत के साथ।

खाली कंटेनर और खाली फ्लैट वैगन को 25 प्रतिशत की छूट के साथ निजी कंटेनर रैकों के लिए उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। इस कदम से बंदरगाहों की ओर लोडिंग के बाद वापस लौटते समय रेल द्वारा खाली कंटेनर को भरे हुए रूप में आवाजाही के लिए एक बल देने की संभावना हैइस प्रकार से भारतीय रेलवे को उच्चतर कंटेनर शेयर के माध्यम से मुनाफा होने की संभावना है।

खाली प्रवाह की दिशाओं में स्वत: माल-भाड़ा छूट योजना
यह योजना 01.01.2017 से तत्काल प्रभाव से जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत खाली प्रवाह दिशा में लोड किए गए माल को एलआर1 (कुछ शर्तों के साथ) पर लिया जा रहा हैजिसमें औसत छूट 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक है। इस संशोधित नीति मेंलाभ को ओ-डी डिवीजन पर मूल डिवीजन से मध्यवर्ती बिंदु तक बुक किए गए ट्रैफ़िक तक बढ़ाया गया है। इसके अलावाछूट को बुक किए गए ट्रैफ़िक से गंतव्य क्षेत्र के सभी अन्य प्रभागों (गंतव्य क्षेत्र के खाली प्रवाह दिशा में सूचीबद्ध नहीं) तक भी बढ़ाया गया है। इससे रैक के खाली प्रवाह के आवागमन को कम करने में मदद मिलेगी। इस योजना की और समीक्षा की गई है और संशोधित दिशानिर्देश को दिनांक 01.10.2018 से तत्काल प्रभावी किया गया है। इससे रैकों के खाली आवागमन की गति को कम करने में मदद मिलेगी।

भारी मात्रा में माल ढुलाई की पहल:

25टी एक्सल लोड BOXNS वैगनों का नमूना अक्टूबर 2015 में बनाया गया था। यह वैगन की भरी हुई अवस्था में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगा, खाली स्थिति में 4.1 के धारक अनुपात से चलेगा जबकि पारंपरिक BOXNHL वैगनों का अनुपात लगभग 3.6 पेलोड है। इन वैगनों को 14.8 प्रतिशत तक प्रति रेक के माध्यम से बढ़ाया जाएगा। डीएफसी के परिचालन के लिए 25 टी वैगनों की आवश्यकता होती हैजिन्हें एसईआर पर 110/100 किमी प्रति घंटे तक चलाने की सफलतापूर्ण कोशिश की गई है। इन वैगनों का समावेशन पहले ही शुरू किया जा चुका है। 2018 तक, 2600 वैगनों का परिचालन शुरू किया जा चुका है और अन्य 2400 कार्यान्वयन अवस्था में हैं। तैयार माल और शामिल अन्य सामानों के बढ़ते प्रवाह के लिए,एक छोटे आकार का कंटेनर डिजाइन किया गया है जिसे भारतीय रेलवे के विद्युतीकृत वर्गों के अंतर्गत भी डबल स्टैक लोडिंग में स्थानांतरित किया जा सकता है। यह योग्य वस्तुओं के प्रवाह क्षमता के बढ़ोत्तरी को बढ़ावा देता है, विद्युतीकृत लाइनों पर भी। यह सेवा जामनगर-लुधियाना मार्ग पर चालु की गई है और अन्य मार्गों पर भी इसे चलाने का प्रयास किया जा रहा है।

मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र मेंरोड-रेलर्स की अवधारणा, जो पिछले कुछ वर्षों से चल रही थीको 2016-17 में अंतिम रूप दिया गया है। अगस्त2018 में ट्रेन का वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया गया है। यह विशेष रूप से ग्राहक परिसरों से कंटेनरों को लोड करके रेलवे क्षेत्र तक लाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सड़क ट्रेलरों को अनुमति प्रदान करता है जहां पर यह ट्रेन के रूप में परिवर्तित होकर गंतव्य स्थान पर जाता है।

यह पहल रेलवे परिसर में बिना किसी कंटेनर से निपटारन की आवश्यकता के, कंटेनर ट्रैफिक के लिए डोर टू डोर डिलीवरी प्रदान करती है।

तैयार स्टील के परिवहन के क्षेत्र में अर्थात् हॉट रोल्ड और कोल्ड रोल्ड स्टील कॉइल, नई वैगन BFNSM को डिजाइन किया गया है जिसे विशेष रूप से अन्य समतुल्य वैगनों की तुलना में स्टील के तार के प्रवाह क्षमता में प्रति रेक 35 प्रतिशत की वृद्धि के साथ डिज़ाइन किया गया है। इसके लिए सुरक्षा अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है और वैगनों मे इनका समावेशम 2018 में शुरू किया जा चुका है।

                         भारतीय रेलवे का रूपांतरण

भारतीय रेलवे को अधिक जीवंत और कुशल संगठन में तबदील करने और इसे देश के आर्थिक विकास और विकास का इंजन बनाने के लिए बड़े पैमाने पर लगातार प्रक्रियात्मक और सुधार अपनाए जा रहे हैं। महाप्रबंधकों (जीएम)डिवीजनल रेलवे मैनेजरों (डीआरएम) और फ्रंटलाइन स्टाफ और शक्तियों के व्यापक प्रतिनिधिमंडलों का सशक्तीकरण किया जा रहा है जिससे कि फास्ट ट्रैक निर्णय लेनेवितरण और रेलवे के समग्र कामकाज में तेजी लाया जा सके। सभी ज़ोनों के प्रतिनिधिमंडलों में एकरूपता लाने के लिए पहली बार अक्टूबर 2017 में रेलवे बोर्ड द्वारा शक्तियों का मॉडल शेड्यूल जारी किया गया (जुलाई 2018 में संशोधित संस्करण)। जिससे संवर्धित प्रतिनिधिमंडल और सशक्तीकरण से सुरक्षा में सुधार होगाकार्यरत और ब्रेकडाउन साइटों तक तेजी से पहुंच प्रदान होगास्टेशन और यात्री इंटरफेस में सुधार होगाउपयोगकर्ता विभागों द्वारा खरीद में आसानी होगीउपकरणों के रखरखाव में सुधार होगास्टेशनों और ट्रेनों में स्वच्छता और हाइजीन में सुधार होगा तथा कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि के साथ प्रशिक्षण और क्षमता में वृद्धि होगी।

अखंडता और नैतिकता पर ध्यान- भारतीय रेलवे का मुख्य ध्यान अपने कामकाज में पारदर्शिता लाने और सभी स्तरों पर अपने कर्मचारियों की त्रुटिहीन अखंडता पर है। इस दिशा मेंभ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति का पालन किया जा रहा है। भारतीय रेलवे में ईमानदारी और पारदर्शिता की संस्कृति को विकसित करने के लिए मिशन सत्य निष्ठा को 27 जुलाई 2018 को लॉन्च किया गया है। एनएआईआर में जीएम और डीआरएम के लिए लीडरशिप और इमोशनल इंटेलिजेंस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है,जो रेलवे के शीर्ष प्रबंधन को बदलने की पहल के लिए आयोजित किया गया है (जीएम के लिए कार्यशाला का आयोजन 10 और 11 नवंबर2018 को जबकि डीआरएम के लिए 8 और 9 दिसंबर तथा 17 और 18 दिसंबर2018 को आयोजित किया गया)। इसे आगे विभागाध्यक्षों के स्तर तक आगे बढ़ाया जा रहा है।

                            कार्मिक और शैक्षिक पहल

रेलवे द्वारा इस वर्ष की पहली छमाही में दो भर्ती अभियान शुरू किए गए हैं: -

27,795 एएलपी के लिए और 36,576 तकनीशियनों के लिए (कुल- 64,371)।

लेवल स्तर की 62,907 रिक्तियां जिसमें ट्रैकमैन भी शामिल, 04.09.2018 को आयोजित हुई पहले चरण की परीक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया जिसमें 47.56 लाख उम्मीदवारों शामिल थे और 77 प्रतिशत की रिकॉर्ड उपस्थिति दर्ज की गई।

17 सितंबर2018 को लेवल स्तर की परिक्षा के लिएकुल 1.90 करोड़ परीक्षार्थियों को बुलाया गयाजिसका समापन 17 दिसंबर2018 को सफलतापूर्वक हुआ। इस परीक्षा में कुल उपस्थिति लगभग 61 प्रतिशत थी। यह पेपरलेस और कंप्यूटर आधारित टेस्ट था। इस प्रकार नौ (9) महीने से भी कम समय मेंरेलवे ने न केवल आवेदनों को बुलायाबल्कि उन्हें शॉर्टलिस्ट किया और भर्ती परीक्षाओं का आयोजन भी किया। यह कंप्यूटर आधारित सबसे बड़ी परीक्षा थी जिसमें लगभग 2.40 करोड़ उम्मीदवारों में शामिल हुए।

भारतीय रेलवे में रिक्तियों के मूल्यांकन में त्रुटिपूर्णता और कमियों की समस्या को दूर करने के लिए और उनको आरआरबी लिंक के लिए, ऑनलाइन इनडेंटिंग एंड रिक्रूटमेंट मैनेजमेंट सिस्टम (ओआईआरएमएस) को नवीनतम केंद्रीयकृत रोजगार सूचनाओं को ऑनलाइन रूप से मदद करने के लिए ओआइआरएमएस सॉफ्टवेयर का मदद लिया गया है।

भारत का पहला रेल और परिवहन विश्वविद्यालय

05 सितंबर2018 से वडोदरा में राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (एनआरटीआई), के दो स्नातक कार्यक्रमों के साथ पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया है। कुल 103 छात्र (17 लड़कियां और 86 लड़के) इनके दो पाठ्यक्रमों (बीएससी में 62 और बीबीए में 41) में शामिल हुए हैं। पाठ्यक्रम निम्न हैं: -

परिवहन प्रौद्योगिकी में बीएससी

परिवहन प्रबंधन में बीबीए कार्यक्रम

एनआरटीआई 15 दिसंबर2018 को राष्ट्र के लिए समर्पित किया गया।

भारतीय रेलवे में कर्मचारी शिकायत निवारण और स्वास्थ्य जांच शिविर
सितंबर 2017 मेंजोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों द्वारा कर्मचारियों की शिकायतों के समाधान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में शिकायत निवारण शिविर आयोजित किए गए, इसमें कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी शामिल था। पिछले 12 महीनों के दौरान पूरे देश में कर्मचारियों के लिए 9025 स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए। इस अभियान में 12 लाख कर्मचारियों को शामिल किया गया।

परियोजना 'सक्षमके अंतर्गत प्रशिक्षण
भारतीय रेलवे के सभी 12 लाख कर्मचारियों को नौकरी के दौरान प्रशिक्षण देने के लिए दिनों का 'प्रोजेक्ट सक्षमनाम से एक विशाल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। इससे कर्मचारियों की क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी और इस तरह से संगठन की उत्पादकता और दक्षता मे बढोत्तरी होगी। हमने अब तक 12 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

रेलवे के विभागीय पदोन्नति परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न शामिल
विभागीय पदोन्नति की चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता के लिएरेल मंत्रालय ने गैर-राजपत्रित श्रेणियों में विभागीय चयन के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षण के माध्यम से या ओएमआर शीट द्वारा 100 प्रतिशत वस्तुनिष्ठ प्रश्न की एक प्रणाली की शुरूआत की है। वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पत्र के लाभ हैं- विषय के प्रश्नों का अधिक से अधिक कवरेजचयन में पारदर्शितापरिणाम की जल्द घोषणा और उम्मीदवारों की शिकायत से बचना। प्रत्येक विषय पर एक प्रश्न बैंक तैयार किया जाएगाजिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाएगा।

कर्मचारियों के मामले पर मोबाइल एप्लिकेशन की शुरूआत
विभिन्न जोनल रेलवे ने रेलवे कर्मचारियों के सेवा अनुरोध को पूरा करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। इससे शिकायत निवारण तंत्र में सुधार होगा और कर्मचारियों की बेहतर उत्पादकता में मदद मिलेगी क्योंकि इससे कर्मचारियों के संतुष्टि स्तर में सुधार होगा।

सभी कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड का अवलोकन
रेल मंत्रालय ने अपने 12 लाख से अधिक कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड का अवलोकन किया है। इससे कर्मचारियों को सेवा रिकॉर्ड की पहुंचने में आसानी होगा। हमारा आगे का उद्देश्य स्कैन किए गए रिकॉर्ड का उपयोग से विकास करना और एचआरएमएस एप्लिकेशन की शुरूआत करना है।

कंपटॉन पर डेटा का विकास और अपडेशन
अपने निवास स्थान पर अपना पारस्परिक स्थानांतरण के इच्छुक कर्मचारियों के लिए कंपटॉन (कॉमन पोर्टल फॉर म्युचुअल ट्रांसफर) नामक एक पोर्टल विकसित किया गया हैजो कर्मचारियों को इंटर जोनल ट्रांसफर के लिए आपसी भागीदारी करने के लिए ऑनलाइन खोज में मदद करता है। हाल ही मेंजोनल रेलवे को पोर्टल पर डेटा को अपडेट करने के लिए कहा गया है जिससे उन्हें पारस्परिक स्थानांतरण के लिए आपसी साथी की खोजने में मदद मिल सके। यह भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के लिए एक कल्याणकारी योजना है।

आधार सक्षम बायो-मेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (एईबीएएस)
एईबीएएस पर डीओपीटी के निर्देशों के अनुपालन करते हुए भारतीय रेलवे ने दिनांक 21.11.2014 में ओएम नंबर 11013/9/2014-एस्टीट (ए-iii) के माध्यम से इसे लागू किया है। यह कर्मचारियों की उपस्थिति की निगरानी में सुधार करेगा और जिससे उत्पादकता में सुधार होगा।

                                   खेल

अपने विजयी गतिविधियों के साथआरएसपीबी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल क्षेत्र के 28 खेल विषयों में शानदार प्रदर्शन कर रहा है और आज यह भारत में सबसे प्रतिष्ठित खेल संस्थाओं में से एक है। भारतीय रेलवे आज एक गौरवशाली संस्था हैजिसके पास 162 अर्जुन पुरस्कार विजेता21 पद्मश्री और 5 राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता हैंइसके अलावा हजारों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाशाली एथलीट हैं। खेल के क्षेत्र में भारतीय रेलवे का प्रदर्शन अद्वितीय रहा है।

रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड ने खेलों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई नीतिगत बदलाव किए हैं। जनवरी-नवंबर 2018 के दौरान निम्नलिखित बदलाव लाए गए:

आरएसपीबी ने अपने एथलीटों को अधिकारी बनाने के प्रावधान को और अधिक आसान बनाया है, जो लोग विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

आरएसपीबी ने 3-4 कोचिंग कैंप शुरू किए हैं और अपनी टीमों को 4-5 राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंटों के मैदान में उतारा है और राष्ट्रीय/ अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले अपने एथलीटों को होटल की सुविधा देना शुरू कर दिया है।

परिणामस्वरूपआरएसपीबी 40 राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपने एथलीटों से सफल प्रदर्शन प्राप्त करने में सक्षम रहा हैजो कि अब तक का आरएसपीबी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भीआरएसपीबी नेराष्ट्रमंडल खेलों में 10 स्वर्ण पदक और एशियाई खेलों में 27 पदक के अलावा अन्य विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भी पदक जीत चुका है।
आरएसपीबी ने हाल ही में उत्तर पश्चिम रेलवे के लिए बीकानेर में विश्व साइकिलिंग चैम्पियनशिप की सफलतापूर्वक मेजबानी की।

                          अनुसंधान और विकास

आरडीएसओ के विक्रेता पंजीकरण प्रक्रिया का सरलीकरण: आरडीएसओ द्वारा नए विक्रेता पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। विक्रेता पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है और मौजूदा पंजीकरण मामलों के औसत समय में 3 महीने से 6 महीने तक की कमी की गई है। ईओआई को आरडीएसओ द्वारा लाया गया है, जिसे आवेदन के लिए पूरे वर्ष खुला रखा गया है। इसलिएलखनऊ के बाहर स्थित आपूर्तिकर्ताओं के पास अब ऑनलाइन विक्रेता पंजीकरण आवेदन का प्रावधान है और पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया एक निश्चित समयसीमा के भीतर पूरी की जाती है। निश्चित समय सीमा के भीतर सभी लंबित विक्रेता पंजीकरण मामलों के निपटारे पर भी जोर दिया गया। शुरू में अक्टूबर 2017 तक 691 पुराने मामले लंबित थेजिन्हें दिसंबर 2018 में घटाकर 98 तक कर दिया गया है।

अन्य अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी: भारतीय रेलवे ने नई प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को विकसित करने के लिए आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) के साथ जुड़कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिससे उनकी मुख्य दक्षताओं का लाभ उठाया जा सके। रेलवे मंत्रालय और इन संस्थानों के बीच सेंटर ऑफ रेलवे रिसर्च (सीआरआर) की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस सीआरआर को दक्षताओं के आधार पर आवंटित किए गए अनुसंधान कार्यक्षेत्र नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं:

संस्थान का नाम
कार्यक्षेत्र
      आईआईटी मद्रास
सिग्नलिंग और कम्यूनिकेशन
आईआईटी कानपुर
लोको प्रणोदन तकनीकट्रैक्शन इंस्टालेशन / ओएचई
आईआईटी रूड़की
ट्रैकपुलसंरचनाएं
        मुंबई विश्वविद्यालय                  
वित्तीय प्रबंधनमानव संसाधन प्रबंधन और संचालन अनुसंधान।

                               अन्य उल्लेखनीय पहल

राज्य सरकारों के साथ समन्वय के लिए 'समन्वयपोर्टल: राज्य सरकारों के साथ लंबित मुद्दों की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने के लिए समन्वय पोर्टल (www.railsamanvay.co.in) विकसित किया गया है, जो कि विभिन्न रेलवे एजेंसियों द्वारा किए जा रहे ढांचागत विकास परियोजनाओं से संबंधित हैं। संबंधित राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने राज्यों में रेलवे के लंबित मुद्दों का समाधान करें जिन्हें समन्वय पोर्टल पर अपलोड किया गया है और रेलवे को उसके विकास/ विस्तार परियोजनाओं में तेजी लाने में आवश्यक प्रदान करें।

रेल गुड वर्क पोर्टल: रेलवे परिचालन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई नवीन लेकिन व्यावहारिक विचारों को उत्पन्न करने के लिएरेलवे बोर्ड ने समय-समय पर कई पहलें की हैं। भारतीय रेलवे के अंतर्गत सभी इकाइयों के लिए रेल गुड वर्क पोर्टल एक ऑन-लाइन प्लेटफॉर्म हैजहां पर वे उनके द्वारा किए जा रहे विभिन्न अच्छे कार्यों का प्रदर्शन कर सकते हैं। रेल गुड वर्क पोर्टल पर अपलोड की गई सर्वश्रेष्ठ और सबसे प्रभावशाली प्रविष्टियों की पहचान करने के लिए एक योजना का प्रारंभ किया गया है और अन्वेषकों को पूरे भारतीय रेलवे में बड़े पैमाने पर वर्णनात्मक वीडियो डालने और भविष्य में अच्छा काम करने और उसकी रिपोर्टिंग करने की आदत को बढ़ावा देने के लिए निर्देश दिया गया है।

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