घर से काम’ को माना जाए सुविधा न कि अधिकार

घर से काम’ को माना जाए सुविधा न कि अधिकार

श्यामल मजूमदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अपने सहयोगियों को सलाह दी है कि उन्हें ‘समय पर कार्यालय पहुंचना चाहिए और घर से काम करने से बचना चाहिए ताकि वे दूसरों के लिए उदाहरण कायम कर सकें।’ इस सलाह से मंत्री चौंके नहीं होंगे क्योंकि मोदी को हमेशा से सख्त मुखिया माना जाता है। उन्होंने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली बैठक में ही अपने सहयोगियों को रोजाना 18 घंटे काम करने के लिए कह दिया था।
मोदी ने घर से काम करने के पक्ष में नहीं होने की कई वजह बताई हैं। वह चाहते हैं कि वरिष्ठ मंत्री नए मंत्रियों का मार्गदर्शन करें ताकि फाइलों को जल्द मंजूरी दी जा सके। कैबिनेट मंत्री और उनके कनिष्ठ सहयोगियों दोनों को मिलकर प्रस्तावों आदि को मंजूरी देनी चाहिए, लेकिन घर से काम करने की स्थिति में यह संभव नहीं होगा।
मोदी की सलाह उस दुनिया में पूरी तरह अनुपयुक्त लग सकती है, जहां कंप्यूटर से घर बैठे काम करना जीवन जीने का एक स्वीकृत तरीका है और कर्मचारी इसे काम एवं जीवन में संतुलन बनाए रखने का एक तरीका मानते हैं। यह कोई नहीं जानता कि उनके मंत्री इसे किस तरह देख रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के नजरिये के कंपनी जगत में कुछ समर्थक मिल सकते हैं। विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से कम से कम दो ने नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए घर से काम करने की व्यवस्था बंद कर दी। बहुत से प्रबंधक बड़ी तादाद में घर से काम करने की मंजूरी देने को लेकर संदेह रखते हैं। इसकी वजह कुछ कर्मचारियों का व्यवहार है, जो इसकी ‘कामचोरी’ के रूप में व्याख्या करते हैं।
ये कंपनियां मैसा’युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर थॉमस एलेन का उदाहरण देते हैं। उन्होंने दिखाया है कि अगर लोग 150 फुट से अधिक दूर होते हैं तो उनके बार-बार संवाद करने की संभावना कम हो जाती है। इससे पता चलता है कि स्काइप या अत्यंत सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएं एक जगह मिलने की जरूरत की भरपाई नहीं कर सकती।
शोध में यह भी सामने आया है कि घर से काम करना टीम की एकजुटता और नवोन्मेष के लिए अच्छा नहीं है। वर्ष 2013 में याहू की पूर्व मुख्य कार्याधिकारी मरिसा मेयर ने घर से काम करने पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि काम के लिए सबसे बेहतर जगह बनने की खातिर संवाद एवं सहयोग महत्त्वपूर्ण होगा, इसलिए हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा। इसीलिए उन्होंने कहा कि ‘यह बेहद जरूरी है कि हम हमारे कार्यालयों में मौजूद रहें।’
मेयर की बात के खिलाफ कई तर्क दिए जा सकते हैं, लेकिन असल तथ्य यह है कि सहयोग, नवोन्मेष और संबंध एवं नेटवर्क के विकास के अवसरों को चिह्नित करने के लिए आमने-सामने संवाद होना आवश्यक है। मेयर की अपने फैसले के लिए कड़ी आलोचना की गई। ऐसा लगता है कि हर कोई इस बात से खफा है कि कैसे गूगल की एक पूर्व कर्मचारी (मेयर गूगल में पहले उपाध्यक्ष थीं और वहां उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक काम किया) कर्मचारियों के प्रतिकूल नीति अपना सकती हैं। लेकिन उस समय इस आलोचना की धार कुंद पड़ गई, जब उनकी नीति आने के कुछ दिनों बाद ही गूगल के शीर्ष कार्याधिकारियों में से एक ने एक टॉक शो में कहा कि एकांत में काम के ‘जादुई क्षण’ सृजित नहीं किए जा सकते। यहां तक कि गूगल भी यह सुनिश्चित करती है कि कम से कम कर्मचारी घर से काम करने का विकल्प चुनें क्योंकि बहुत से कर्मचारियों ने इतना अकेलापन महसूस किया कि उन्होंने हमेशा घर से काम करने का अपना विचार ही बदल लिया।
आईबीएम ऐसी कंपनी है, जिसने दशकों तक घर से काम करने की नीति अपनाई है। कंपनी ने वर्ष 2017 में घर से काम करने की नीति रद्द कर दी। उस समय कंपनी ने अमेरिका में अपने 2,600 लोगों के मार्केटिंग विभाग को एक ही स्थान पर लाने का फैसला किया ताकि सभी टीम कंधे से कंधा मिलाकर काम करें। इसका मतलब है कि जो कर्मचारी पहले घर से काम कर रहे थे, उन्हें भी कार्यालय आना पड़ेगा।
आईबीएम ने अपने फैसले के बचाव में कहा था कि उसका लक्ष्य कंपनी को और अधिक तेज बनाना है, जहां अधिकारियों का कर्मचारियों के साथ मौजूद रहना और कर्मचारियों का एक स्थान पर मौजूद होना जरूरी है। आईबीएम के इस कदम ने बहुत से लोगों को चौंकाया था क्योंकि आईबीएम घर बैठे काम करने की नीति को अपनाने वाली शुरुआती कंपनियों में से एक थी। वर्ष 2009 में जब घर बैठे काम करना महज एक फैशन था, तब आईबीएम के दुनियाभर के 386,000 कर्मचारियों में से 40 फीसदी घर से काम कर रहे थे।
साफ तौर पर घर से काम करने के कुछ सकारात्मक पहलू हैं क्योंकि इससे कार्यालय आने-जाने का समय बचता है और उससे जुड़ी थकान से भी बचा जा सकता है। ऐसा कोई नहीं मान रहा है कि घर से काम करना गलत विचार है और हर कोई इसे खत्म कर देगा। इसके बजाय इससे नौकरी को लेकर ज्यादा संतुष्टि मिलती है और आम तौर पर प्रतिभाशाली कर्मचारियों को कंपनी से जोड़े रखने के लिए कम पैसा चुकाना पड़ता है। लेकिन यह तभी सफल होगा कि हर संबंधित व्यक्ति इस बात से सहमत होगा कि यह अधिकार नहीं बल्कि सुविधा मिली हुई है। अगर प्रबंधन को यह लगता है कि कर्मचारी इस सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं तो वह इस सुविधा को वापस लेने का अधिकार रखता है।

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