2nd Anniversary Of GST

वस्‍तु एवं सेवा कर की दूसरी वर्षगांठ 01 जुलाई, 2019 को मनाई जाएगी  

वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटीकी दूसरी वर्षगांठ कल मनाई जाएगी जिसमें केन्‍द्रीय वित्त राज्य मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर समारोह की अध्‍यक्षता करेंगे।
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव श्री सुभाष सी. गर्गराजस्व सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेवित्त मंत्रालय के सचिवसीबीआईसी के अध्‍यक्ष, श्री पी.के. दाससीबीआईसी के सदस्य और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। वाणिज्यव्यापार और उद्योग के शीर्ष उद्योग मंडलों के वरिष्ठ अधिकारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित होंगे। पूरे देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
जीएसटी को 30 जून2017 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक राजसी समारोह में 01 जुलाई2017 को लॉन्च किया गया था। इसलिएसरकार व्यापार और उद्योग के साझेदारों के साथ 01 जुलाई, 2019 को जीएसटी की दूसरी वर्षगांठ मना रही है।
हालांकिजीएसटी का कार्यान्वयन विशेष रूप से, शुरुआती महीनों में चुनौतियों के बिना नहीं हुआ। लेकिन व्यापार और उद्योग के सहयोग और राज्यों और सीबीआईसी के जीएसटी अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई अनवरत सेवा की बदौलत इन चुनौतियों को दूर कर लिया गया है और जीएसटी अब स्थिर हो गया है। इसलिए सरकार ग्रोइंग एंड शेयरिंग टुगेदर (जीएसटी) की सच्ची भावना का स्‍मरण कर रही है।
इस समारोह के दौरान पर "एमएसएमई के लिए जीएसटी" पर एक पुस्‍तक का अनावरण भी किया जाएगा। सीबीआईसी के विशिष्ट अधिकारी, जिन्होंने जीएसटी के कार्यान्वयन में कड़ी मेहनत की हैउन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर द्वारा ‘’ जीएसटी प्रशस्ति प्रमाणपत्र’’  प्रदान किया जाएगा।
जीएसटी के कुछ लाभ :
सरलीकृत कर संरचना: इससे करों के व्‍यापक प्रभाव में कमी आई हैयह पारदर्शी है और इसमें कानूनों और प्रक्रियाओं का सामंजस्य है।
आसान अनुपालन: कई करों और स्वचालित प्रक्रियाओं की जगह समस्‍त भारत एक कर के साथ अनुपालन बोझ कम हो गया है।
व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देना: टैक्स क्रेडिट का निर्बाध प्रवाह।
आवर्ती आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: एकीकृत समान राष्ट्रीय बाजार का निर्माण।

2017 से जीएसटी यात्रा के दौरान कुछ घटनाक्रम:
करों को सम्मिलित किया जाना: जीएसटी के तहत 17 विभिन्न प्रकार के करों को शामिल करना एक नया अनुभव था। जीएसटी से पहलेव्यापार और उद्योग को केंद्रीय उत्पाद शुल्कसेवा कर और वैट के तहत अनुपालन करना पड़ता था जिसमें कई राज्यों में व्‍यवसाय करने में विभिन्न पोर्टलों के माध्यम से विभिन्न वैट कानूनों का पालन करनाअनुपालन करना और विभिन्न अधिकारियों को जवाब देना शामिल था। इन सभी को एक मजबूत ऑनलाइन प्रणाली में एकीकृत किया गया है। देश में कहीं भी कारोबार करने की इच्छा रखने वालों के लिए ऑनलाइन जीएसटी पंजीकरण के साथ स्टार्ट अप सरल हो गया है।
अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देना: जीएसटी करदाता आधार में महत्वपूर्ण वृद्धि से औपचारिक अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक कारोबार का शामिल होना स्पष्ट है। औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने से दृश्यता में वृद्धि हुई है और इसलिए व्यापार और उद्योग के लिए अधिक अवसर खुले हैं।
राज्य की सीमाएँ: राज्य सीमाओं से संबंधित गड़बड़ियों और देरी में उल्‍लेखनीय कमी आई है। विभिन्न राज्यों में अलग-अलग वैट कानूनों के कारणअंतर-राज्य लेनदेन व्यापार और उद्योग के लिए समस्‍या थे। अंतर-राज्य लेनदेन पर लगाया गया सीएसटी एक अतिरिक्त लागत थाजिसमें कोई इनपुट-क्रेडिट उपलब्ध नहीं था और हजारों उत्पादक घंटे राज्य की सीमा पर बर्बाद हो जाते थे। ई-वे बिल लागू होने के बाद अंतर-राज्य लेनदेन करने की लागत और समय में काफी कमी आई है।
दर की बुद्धि संगत व्‍याख्‍या: विभिन्न वस्तुओं की कर दरों में प्रमुख परिवर्तन किए गए जिससे 28% वस्तुओं को 18% तक लाया गया18% वस्तुओं को 12% तक लाया गया और 12% वस्तुओं को 5% तक लाया गया। इसके अतिरिक्‍त, विभिन्न आवश्यक वस्तुओं को कर मुक्त किया गया। ज्यादातर सामान गैर-ब्रांडेड और एमएसएमई द्वारा निर्मित हैं। लगभग सभी मामलों में कमी उच्च से अगले निम्न कर स्लैब (चाहे 12% से 5% या 18% से 12% तक) में हुई है और इसमें स्वदेशी रूप से संसाधित खाद्य पदार्थमानव निर्मित कपड़ा यार्नस्टेशनरी और अन्य नियत कार्य शामिल हैं।
रिटर्न फाइलिंग: एक महीने में चार टैक्स रिटर्न की मूल अवधारणा (जीएसटीआर -3 बी12 और 3) धीरे-धीरे दो टैक्स रिटर्न नामत: -  जीएसटीआर -3 बी और 1 तक सीमित हो गई। इसके अतिरिक्‍त, सरकार ने जरूरत के अनुसार कर रिटर्न दाखिल करने के लिए नियत तारीखों को बढ़ा दिया। छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न भी निर्धारित किया गया था। कर रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए देय विलंब शुल्क में रु. 200/- प्रति दिन से घटाकर रु.50/- प्रतिदिन रु.20/- प्रति दिन की दर से कटौती कर दी गई। व्यापार और उद्योग के लिए जिसका टर्नओवर पांच करोड़ से कम थात्रैमासिक रिटर्न भरने की व्यवस्था प्रस्तावित है। इससे 93% करदाताओं को लाभ होगाउनका अनुपालन बोझ कम होगा और व्यापार करने की सरलता में वृद्धि होगी।
निर्यात एवं रिफंड: निर्यात बॉन्ड/एलयूटी के आधार पर एवं आईजीएसटी टैक्स के भुगतान के बिना संभव बनाया जाता है। फियोएपीईसी, जीजेईपीसी, ईईपीसी, हस्‍तशिल्‍प ईपीसी आदि जैसे विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों और संगठनों के साथ चर्चा के बाद निर्यातकों/व्यापारी निर्यातकों के लिए एक प्रमुख पैकेज की घोषणा की गई है। 15 मार्च से 31 मार्च201831 मई से 14 जून2018 एवं 16 जुलाई से 30 जुलाई2018 को रिफंड पखवाड़ों का आयोजन किया गया।
जीएसटी कानून संशोधन अधिनियम2018: नई दिल्ली में 21.07.2018 को आयोजित जीएसटीएस की 28वीं बैठक मेंजीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियमआईजीएसटी अधिनियमयूटीजीएसटी अधिनियम और जीएसटी (राज्यों के लिए मुआवजा) अधिनियम में कुछ संशोधनों की सिफारिश की। यह सुनिश्चित करने के लिए कि केंद्र और राज्य जीएसटी कानूनों में बदलावों को एक साथ लागू किया जाएइन संशोधनों को 01.02.19 से प्रभावी बना दिया गया है।
एमएसएमई समर्थन और आउटरीच प्रोग्राम: पूरे भारत में 80 स्थानों पर एमएसएमई को समर्थन देने के लिए सीबीएमई द्वारा 2 नवंबर 2018 से जीएसटी हेल्प डेस्क बनाए गए थे और जीएसटी पंजीकरण / रिटर्न फाइलिंग / रिफंड / ई-वे बिल आदि के संबंध में एमएसएमई को आरंभिक सहायता प्रदान की गई थी।
चालू वित्त वर्ष (2019-20) में और संशोधन:
नई रिटर्न प्रणाली: 01.07.2019 से परीक्षण के आधार पर और 01.10.2019 से अनिवार्य आधार पर नई रिटर्न प्रणाली लागू की जाएगी। छोटे करदाताओं के लिए सहज और सुगम रिटर्न प्रस्तावित हैं
एकल कैश लेजर: कैश लेजर का युक्तिकरण इस तरह से किया जाता है कि पहले के 20 शीर्षों को 5 प्रमुख शीर्षों में मिला दिया जाता है। करब्याजजुर्मानाशुल्क और अन्य के लिए केवल एक कैश लेजर है।
एकल रिफंड संवितरण: केंद्र या राज्य सरकार जो रिफंड मंजूर करती हैरिफंड के सभी चार प्रमुख शीर्षों नामत: सीजीएसटीएसजीएसटीआईजीएसटी और सेस संवितरित करती है।
वस्‍तुओं के लिए सीमा: राज्यों की पसंद के अनुसार माल के आपूर्तिकर्ताओं को 40 लाख रुपये की प्रारंभिक सीमा प्रस्‍तुत की जाती है।
सेवाओं के लिए संरचना योजना: छोटे सेवा प्रदाताओं के लिए 6% की कर दर के साथ 50 लाख रुपये तक सालाना टर्नओवर के लिए संरचना योजना।
ई-चालान प्रणाली: बी 2 बी लेनदेन के लिए चरण-वार तरीके से इलेक्ट्रॉनिक चालान प्रणाली को पेश किया जाना प्रस्तावित है।
जीएसटीएटी: जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण विभिन्न राज्य मुख्यालयों और क्षेत्र पीठों में भी स्थापित किए जा रहे हैं।
जीएसटी की शुरूआत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक युगांतकारी कदम है क्योंकि इसने सरलपारदर्शी और प्रौद्योगिकी-चालित कर व्यवस्था के साथ बहुस्तरीयजटिल अप्रत्यक्ष कर संरचना को प्रतिस्‍थापित कर दिया है। इसने अंतरराज्यीय व्यापार और वाणिज्य की बाधाओं को तोड़कर भारत को एक एकलसमान बाजार में एकीकृत कर दिया है। विभिन्‍न प्रकार के करों को समाप्त करने और लेनदेन की लागत को कम करने सेयह व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाएगा और मेक इन इंडिया अभियान को प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा।
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